नींद मापेगा आइआइटी के होनहारों का स्टार्टअप

कोलकाता: देश की प्रतिभा को विदेशों में बड़े पैकेज पर नौकरी करना ज्यादा आकर्षित करता था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की प्रतिभाशाली और हुनरमंद युवाओं को देश से बाहर जान से रोकने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया के लिए प्रेरित किया. स्टॉर्ट-अप इंडिया योजना से प्रेरित होकर आज हजारों युवा विदेशों के बड़े ऑफर्स […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2017 8:26 AM
कोलकाता: देश की प्रतिभा को विदेशों में बड़े पैकेज पर नौकरी करना ज्यादा आकर्षित करता था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की प्रतिभाशाली और हुनरमंद युवाओं को देश से बाहर जान से रोकने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया के लिए प्रेरित किया. स्टॉर्ट-अप इंडिया योजना से प्रेरित होकर आज हजारों युवा विदेशों के बड़े ऑफर्स ठुकरा कर मेक इन इंडिया में जुट रहे हैं. वह अपने साथ देश को बुलंदी पर पहुंचा रहे हैं. ऐसे ही युवाओं में हैं आइआइटी खड़गपुर के तीन मेधावी छात्र लक्ष्मीकांत तिवारी, सत्यपाल गुप्ता और अरनेंद्र सिंह.
आइआइटी खड़गपुर के तीनों छात्रों ने नींद की गुणवत्ता को मापने और शरीर में विसंगतियों का पता लगाने के लिए एक उपकरण बनाया है. इसे आईआईटी खड़गपुर बेस्ट स्टार्ट अप घोषित कर चुकी है और आईआईटी मुंबई में आयोजित स्टार्टअप समिट में बेस्ट स्टार्टअप अवार्ड से नवाजा गया.
हाल ही में आईआईएम बेंगलुरु में आयोजित इंडिया इनोवेशन चैलेंज डिजाइन कंटेस्ट-2016 में खड़गपुर की इस टीम को बेस्ट इनोवेशन अवार्ड मिला. छात्रों की इस खोज के लिए उन्हें अब तक 23.5 लाख की पुरस्कार राशि ने नवाजा जा चुका है.
टीम के सदस्य लक्ष्मीकांत तिवारी ने बताया कि हमारा उपकरण नींद के पैटर्न का पूरा विश्लेषण करता है, जिसमें हृदय की धड़कन की निगरानी और स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं भी हैं.
लक्ष्मीकांत ने बताया कि वह प्रोफेसर अरविंद रॉउत्रे की देखरेख में काम कर रहे हैं. उनके इस उपकरण को लेकर देश और विदेश की काफी कंपनियां उत्साहित हैं, लेकिन हम तो बस अपने भारत को गढ़ना चाहते हैं. अपने छात्रों की उपलब्धि पर आइआइटी खड़गपुर के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के प्रोफेसर डॉ अरविंद रॉउत्रे कहते हैं : मेरे इन तीनों छात्रों की खोज नायाब है. मेरा तो मानना है कि यह खोज इन तीनों की प्रतिभा का एक झलक मात्र है. आने वाले समय में ये और भी नायाब खोज करने वाले हैं. इनके प्रोडक्ट को लेकर धूम मच रही है.
श्री रॉउत्रे कहते हैं कि आज आइआइटी, आइआइएम जैसे टॉप मोस्ट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के ब्राइट स्टूडेंट्स भी लाखों की सैलरी पैकेज ठुकरा कर स्टार्ट-अप के जरिए अलग पहचान बना रहे हैं. कई स्मार्ट प्रोफेशनल्स ने यूनीक स्टार्ट-अप शुरू किया और बेहद कम समय मेें उनका एनुअल टर्नओवर करोड़ों में पहुंच गया.
बढ़ाया जौनपुर का मान
इस टीम के दो होनहार छात्र सत्यपाल गुप्ता और लक्ष्मीकांत तिवारी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से हैं. उत्तर प्रदेश के ये दोनों छात्रों ने एक साथ इतनी बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर जौनपुर जिले के साथ पूरे उत्तर प्रदेश के छात्रों के हुनर का लोहा मनवाया है. दोनों छात्र ही जौनपुर के एक किसान निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. सत्यपाल गुप्ता के पिता कल्याण दत्त गुप्ता एक किसान हैं, जबकि मां शांतिदेवी गृहिणी हैं. बड़े भाई भीमसेन गुप्ता एक मीडिया ग्रुप में बड़े पद पर कार्यरत हैं. भीमसेन अपने भाई पर फक्र करते हुए कहते हैं : जब कोई कामयाब होता है तो सबसे ज्यादा खुशी मां-बाप को होती है, लेकिन बड़ा भाई होने के नाते मुझे और भी ज्यादा खुशी इसलिए हो रही है कि मैंने जिस रास्ते के लिए कदम-दर-कदम उसे प्रेरित किया. आज वह उस मार्ग के शिखर पर है. मेरा भाई गुदड़ी का लाल है. वह गांव के हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल से पढ़ कर निकला. आज खड़गपुर के आइआइटी तक पहुंचा है. यह कामयाबी से जौनपुर का नाम रौशन हुआ है.

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