कोलकाता : देश भर में बुधवार को ‘अंगरेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनायी गयी. इस अवसर पर कई बड़े आयोजन हुए. संसद में विशेष सत्र का आयोजन हुआ. वहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने ‘भाजपा भारत छोड़ो’ अभियान की शुरुअात की. भाजपा से अपनी राजनीतिक खुन्नस निकालने और विपक्ष की सर्वमान्य नेता बनने की चाहत में ममता दी ऐसा कुछ कर रही हैं, जो देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाता है. दीदी ने अपने राज्य के 23 जिलों के जिलाधीशों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में शरीक होने से रोक दिया.
ममता दी ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों से साफ-साफ कह दिया कि प्रधानमंत्री का भाषण सुनने की कोई जरूरत नहीं है. दो-एक सीनियर अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हो जायें, यही बहुत है. शिष्टाचार के नाते यह जरूरी है. केंद्र सरकार और ममता बनर्जी के बीच रस्साकशी का यह कोई पहला मामला नहीं है. राज्य सचिवालय नवान्न के एक वरीय अधिकारी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को लगता है कि डीएम राज्य सरकार के अधिकारी हैं. उन्हें राज्य सरकार की नीतियों और मुख्यमंत्री के आदेश के मुताबिक ही काम करना चाहिए.’
इसे भी पढ़ें : झारखंड पहुंचा चोटीकटवा? पलामू में महिला की चोटी काटी, हिंसा बढ़ने की आशंका
इस अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री यह मानती हैं कि केंद्र सरकार राज्य के अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है. नये नौकरशाहों के सेवा में योगदान देने से पहले केंद्र में प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की नीति का भी ममता दी ने विरोध किया था. केंद्र सरकार द्वारा सीधे वरीय अधिकारियों से संपर्क को भी दीदी गलत मानती हैं और उसका कई बार विरोध भी किया है. प्रधानमंत्री के ताजा कार्यक्रम को भी वह अफसरों के ब्रेनवाॅश की कोशिश मानती हैं.
बहरहाल, मुख्यमंत्री की अनुमति से राज्य के मुख्य सचिव मलय दे, गृह सचिव अत्रि भट्टाचार्य, वरिष्ठ आइएएस अधिकारी देवाशीष सेन, राजीव सिंह, नवीन प्रकाश, परवेज सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शिरकत की. प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग शुरू होने से पहले नीति आयोग के अधिकारियों ने बार-बार जिलाधिकारियों को फोन किया, लेकिन, कोई डीएम फोन पर नहीं आया.
इसे भी पढ़ें : चतरा : इटखोरी में जेसीबी मशीन फूंकी, पुल निर्माण में लगे कर्मचारियों से की मारपीट
पश्चिम बंगाल से प्रकाशित एक बांग्ला दैनिक से बातचीत में कई अधिकारियों ने कहा कि यह उनके लिए बेहद असहज स्थिति थी. उन्होंने कहा कि आइएएस अधिकारियों का प्रधानमंत्री कार्यालय से गहरा संबंध होता है. उन्हें आशंका है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में उनके शरीक न होने का असर भविष्य में उन पर पड़ सकता है. साथ ही यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार कर वे इसमें शामिल भी नहीं हो सकते थे. इसलिए कार्यक्रम से दूरी बनाये रखना उनकी मजबूरी थी.
‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश के 700 जिलों के जिलाधिकारियों से बातचीत की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री ने जिलाधिकारियों के साथ ‘विजन 2022’ पर चर्चा की. उन्होंने ‘मंथन’ के दौरान नया भारत गढ़ने में जिलाधिकारियों की भूमिका पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों को विशेष अवसर मिला है. वे देश की सबसे गरीब जनता के भले के लिए काम कर सकते हैं. इसी संबंध में वह जिलाधिकारियों की राय जानना चाहते थे. पीएम यह जानना चाहते थे कि अलग-अलग राज्यों के जिलाधिकारी अपने जिले को वर्ष 2022 में कहां देखना चाहते हैं. मोदी यह भी जानना चाहते थे कि सरकार ने जो योजनाएं शुरू की हैं, उसका कितना लाभ गरीबों को मिल रहा है.
इसे भी पढ़ें :
बात नहीं मानने पर कुत्ता से कटवाता था कोहली : तारा शाहदेव
इसके अलावा जीएसटी, डिजिटल इंडिया के प्रचार-प्रसार पर भी प्रधानमंत्री ने जोर दिया. उन्होंने कहा कि इन योजनाअों के माध्यम से सामाजिक उत्थान के प्रयास होने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘याद रखिए, यह भगवान का आशीर्वाद है कि आप सुदूर गांव में बसे लोगों के लिए काम कर पा रहे हैं. यह परिश्रम व्यर्थ नहीं जायेगा.’
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि नये भारत पर ‘मंथन’ के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन नीति आयोग ने किया था.