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नरेंद्र मोदी और भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए ममता को लेफ्ट भी मंजूर

नयी दिल्ली : वर्ष 2019 में नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्षी दल एकजुट होने की कोशिशों में जुट गये हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी भी सूरत में इस गंठबंधन को खड़ा होते देखना चाहती हैं. इसके लिए वह कांग्रेस ही नहीं अपने धुर विरोधी वामदल के साथ भी काम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2017 10:32 AM

नयी दिल्ली : वर्ष 2019 में नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्षी दल एकजुट होने की कोशिशों में जुट गये हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी भी सूरत में इस गंठबंधन को खड़ा होते देखना चाहती हैं. इसके लिए वह कांग्रेस ही नहीं अपने धुर विरोधी वामदल के साथ भी काम करने के लिए तैयार हैं. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बेदखल करने के लिए और ‘राष्ट्रीय हित’ में वह अपने सिद्धांतों से समझौता करने के लिए भी तैयार हैं.

ममता बनर्जी ने कहा कि जिस तरह वह राष्ट्रीय स्तर पर माकपा के साथ काम करने के लिए तैयार हैं, कांग्रेस को भी अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और आम आदमी पार्टी (आप) को विरोधी दलों के साथ जोड़ने के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए.

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एक अंगरेजी दैनिक के साथ बातचीत में ममता बनर्जी ने सभी दलों के बीच समन्वय का एक खाका भी पेश किया. कहा, ‘सभी क्षेत्रीय पार्टियों को उनके क्षेत्र में नेतृत्व का अधिकार मिले. कांग्रेस पार्टी दिल्ली से सभी क्षेत्रीय दलों की मदद करे और जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, वहां क्षेत्रीय दल उसका सहयोग करेंगे. इसी तरह जहां क्षेत्रीय दल मजबूत स्थिति में हैं, वहां कांग्रेस उनकी मदद करेगी. यदि हमने इस योजना पर काम किया, तो मुझे पूरा विश्वास है कि वर्ष 2019 में हम भाजपा को देश से विदा करने में सफल हो जायेंगे.’

ममता दी ने आगे कहा कि सभी इच्छुक दलों को भरोसे में लेना होगा. ‘ग्रांड अलायंस’ या ‘महागठबंधन’ के लिए सभी विरोधी दलों में सहयोग के लिए एक तंत्र विकसित करना होगा. यह पूछने पर कि क्या इस गठबंधन का कोई नेता होगा, ममता ने कहा कि नेता का मतलब कोई एक व्यक्ति, जो बैठक बुलायेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ एक मजबूत महागठबंधन की सख्त जरूरत है. यह होना ही चाहिए.

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उन्होंने कहा कि महागठबंधन का एक अध्यक्ष जरूर होना चाहिए. इसका एक संयोजक भी होना चाहिए. इस दौरान ममता ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तारीफों के पुल भी बांधे. उन्होंने कहा, ‘सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की उम्मीद की किरण हैं. राजीव गांधी की हत्या के बाद पार्टी बहुत कमजोर हो गयी थी. वह सोनिया गांधी ही हैं, जिन्होंने पार्टी को अब तक जिंदा रखा है.’

एक ओर ममता बनर्जी विपक्षी एकजुटता पर जोर दे रही थीं, तो दूसरी ओर विपक्ष के बीच की दरार शुक्रवार को साफ नजरआयी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी विपक्षी दलों की बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल नहीं हुई. शरद पवार की पार्टीएनसीपी को बैठक के लिए न्योता भेजा गया था,लेकिन उनकी पार्टी से कोई नहीं आया.

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यह हालत तब है, जब इस आशय की खबरें हैं कि गुजरात में हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में एनसीपी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस प्रत्याशी अहमद पटेल के खिलाफ भाजपा को मत दिया था. सोनिया ने विपक्षी एकता और मोदी सरकार के खिलाफ रणनीति पर विचार के लिए यह बैठक बुलायी थी. संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में सोनिया गांधी, भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, भाकपा के डी राजा, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेताओं ने शिरकत की.

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