profilePicture

बंगाल में राजनीित से बािधत हो रही गोरक्षा!

कोलकाता: गोरक्षा के लिए देश भर में आंदोलनों के तेज होने पर भी बंगाल में इसके दलगत राजनीति से बाधित होने के आरोप लग रहे हैं. गोरक्षा से जुड़े विभिन्न संगठनों का आरोप है कि गो रक्षा संविधान सम्मत होने पर भी उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. गत वर्ष तक भाजपा की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2017 4:45 AM
कोलकाता: गोरक्षा के लिए देश भर में आंदोलनों के तेज होने पर भी बंगाल में इसके दलगत राजनीति से बाधित होने के आरोप लग रहे हैं. गोरक्षा से जुड़े विभिन्न संगठनों का आरोप है कि गो रक्षा संविधान सम्मत होने पर भी उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
गत वर्ष तक भाजपा की इकाई रहनेवाली, गौवंश विकास प्रकोष्ठ, पश्चिम बंगाल (काऊ डेवलपमेंट सेल) आज स्वतंत्र संगठन है. इसके अध्यक्ष सुब्रत गुप्ता कहते हैं कि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व आज गौ रक्षा के विषय में उत्साही नहीं दिखायी देता. प्रकोष्ठ की ओर से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र दिया गया है.
इसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में गौ रक्षा के संबंध में संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है. गौ वध को रोकने के लिए कोई कदम तो उठाया नहीं जा रहा, बल्कि कई बार तो सरकारी मशीनरी बढ़ावा देती दिखती है. यह सबकुछ राजनीति को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. इस संबंध में सरकार से वह कदम उठाने की अपील करते हैं.
श्री गुप्ता कहते हैं कि जल्द ही गौ वध को बंद करने की मांग पर वह दो लाख लोगों के हस्ताक्षर इकट्ठा करेंगे. उनके मुताबिक अमेरिका, स्वीडन, फ्रांस, इटली सहित अन्य देशों से जहां गोरक्षा के लिए सहयोग मिलता है, वहीं राज्य में नेता इस संबंध में उदासीन दिखते हैं. श्री गुप्ता की तरह ही प्रशासन पर उंगली उठाते हैं हिंदू एकता मंच के राष्ट्रीय महासचिव संतोष यादव. वह कहते हैं कि गोरक्षा के लिए कई बार थाने में खबर करने या शिकायत करने पर भी कोई लाभ नहीं होता. कई बार तो गोरक्षा करनेवाले उनके मंच के सदस्यों के खिलाफ पुलिस झूठे मामले दर्ज कर लेती है. उनपर लगातार दबाव बनाया जाता है. गोरक्षा के लिए उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को कई बार प्रशासन द्वारा रोक दिया जाता है. लेकिन यह भी सच है कि पिछले दो वर्षों में गायों की तस्करी में करीब 50 फीसदी की कमी दिखती है.
हालांकि सुब्रत गुप्ता कहते हैं कि राज्यों में गायों की भारी कमी हुई है. उनके संगठन द्वारा किये गये वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि राज्य में फिलहाल 1.50 करोड़ गायें हैं. पिछले एक वर्ष में ही इनकी तादाद में करीब 53 लाख की गिरावट आयी है. वह स्वयं 74 गोशालाओं से जुड़े हैं जहां करीब दो लाख गायों की देखभाल की जाती है. उल्लेखनीय है कि अलीगढ़ में प्रबुद्ध मुस्लिमों के संगठन, फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस ने गोवध पर पाबंदी लगाने और गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. बंगाल के गोरक्षा संगठन ऐसी ही पहल का आह्वान दूसरे संगठनों से भी करते हैं.

Next Article

Exit mobile version