जिलों में खुदरा पैसे की अधिकता बनी बड़ी समस्या

कोलकाता. अपनी बीमार बहन की चिकित्सा कराने के लिए झारखंड से बीरभूम के सिउड़ी में पहुंचे दिहाड़ी श्रमिक, नकुल राय को अपने पास मौजूद 300 रुपये मूल्य के सिक्कों को नोटों में बदलने के लिए करीब चार घंटे तक भटकना पड़ा. उसने बैंक, पुलिस स्टेशन और यहां तक कि डीएम कार्यालय में भी गुहार लगायी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2017 9:23 AM
कोलकाता. अपनी बीमार बहन की चिकित्सा कराने के लिए झारखंड से बीरभूम के सिउड़ी में पहुंचे दिहाड़ी श्रमिक, नकुल राय को अपने पास मौजूद 300 रुपये मूल्य के सिक्कों को नोटों में बदलने के लिए करीब चार घंटे तक भटकना पड़ा. उसने बैंक, पुलिस स्टेशन और यहां तक कि डीएम कार्यालय में भी गुहार लगायी. लेकिन वह नाकाम रहा. आरोप है कि डॉक्टर ने प्रेस्क्रिप्शन वापस ले लिया, जब उसे पता चला कि उसे फीस सिक्कों में दी जायेगी.
नकुल राय का कहना है कि उसने डॉक्टर से काफी मिन्नतें की, लेकिन वह नहीं माने. सिक्कों को नोट में बदलने के लिए वह बैंक के अलावा प्रशासनिक कार्यालयों मे भी गये, लेकिन उन्हें कहीं से कोई सहायता नहीं मिली. जब नकुल चार घंटे तक सिक्कों को नोट में बदलने के लिए भटक रहा था, तब उसकी बुखार से तप रही बीमार बहन, उर्मिला डॉक्टर के चेंबर के बाहर बैठी रही. बुरी तरह थक चुका नकुल सिक्कों के बैग को पकड़ कर बैठा रहा और डॉक्टर का इंतजार करता रहा जिसके पास प्रेस्क्रिप्शन अभी भी था.
डॉक्टर दो घंटे बाद बाहर आये और दोनों को चेंबर के बाहर बैठे पाया. इससे उनका दिल पसीज गया और उन्होंने प्रेस्क्रिप्शन बगैर फीस लिये ही नकुल को दे दिया. नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कई जिलों में सिक्कों की अधिकता हो गयी है. यह माना जा रहा है कि नोटबंदी के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ी तादाद में सिक्के बाजार में छोड़े थे. ज्यादातर व्यापारी बैगों में बंद इन सिक्कों के साथ फंस गये हैं. कोई भी इन्हें लेने के लिए तैयार नहीं है. हाल ही पश्चिम मेदिनीपुर के केशपुर में बेकरी उत्पाद के व्यापारियों ने सिक्कों की समस्या को लेकर पथावरोध भी किया था.
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंधक डीएन ठाकुर ने समस्या को स्वीकार करते हुए कहा कि बैंकों को सिक्के लेने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. इधर वीरभूम जिले के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव देवाशीष देबांशी ने कहा कि कोई चिकित्सक प्रेस्क्रिप्शन यदि रख लेता है, तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है. सिक्कों को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं है. वह मामले को देखेंगे.

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