कोलकाता : महानगर में इस वर्ष अगस्त तक करीब 700 से 800 लोग मलेरिया की चपेट में आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी इसे नियंत्रित माना जा रहा है, क्योंकि किसी समय कालीघाट, भवानीपुर, बालीगंज, बड़ाबाजार सह महानगर के कुछ अन्य इलाकों को मलेरिया पैरासाइट जोन माना जाता था, लेकिन अब यह स्थिति नहीं है. यह बातें कोलकाता नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य अतिन घोष ने दी. उन्होंने निगम में गत वाममोर्चा बोर्ड पर निशाना साधते हुए बताया कि 2009-10 में महानगर में मलेरिया से लाखों लोग ग्रसित हुए थे, लेकिन अब यह स्थिति नहीं. पहले की अपेक्षा अब काफी सुधार हुआ है. निगम के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क जांच व चिकित्सा की व्यवस्था है. मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां भी दी जाती हैं.
बड़ाबाजार में मलेरिया के अधिक मामले : बड़ाबाजार राज्य का सबसे बड़ा व्यवसायिक क्षेत्र है. प्रतिदिन काफी तादात में लोग यहां पहुंचते हैं. इनमें मुटिया श्रमिक की संख्या भी हैं. ये लोग ट्रक के साथ आते हैं और रात में ट्रक के ऊपर सो जाते है. ऐसे लोग ही अधिकतर डेंगू-मलेरिया की चपेट में आ जाते हैं. ऐसे लोगों को निगम के क्लीनिक में पहुंचने पर उन्हें दवा दी जाती है. वे कोर्स पूरा नहीं कर पाते हैं. बुखार ठीक होते ही वे दवा लेना बंद कर देते हैं. श्री घोष ने बताया कि मलेरिया को जड़ से साफ करने के लिए 14 दिनों तक दवा खाना अनिवार्य है. उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में होटल व रेस्तरां में काम करनेवाले लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.