पहाड़ी क्षेत्र के गतिरोध का जल्द समाधान चाहता है पर्यटन विभाग
दार्जिलिंग: दार्जिलिंग के पहाड़ी क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन हड़ताल अभी भी जारी है. जीजेएम के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने पार्टी के संयोजक बिनय तमांग को उनके पद से हटा दिया और उनके 12 सितंबर तक बंद को स्थगित करने के फैसले को वापस ले लिया. इसके साथ ही गुरंग ने तमांग और पार्टी के अन्य सदस्य अनित थापा को पार्टी से निष्काषित करने के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नोताओं के साथ एक आपातकाल बैठक बुलायी.
जबकि दूसरी ओर पर्यटन विभाग पहाड़ी क्षेत्र में जारी जतिरोध का जल्द ही समाधान चाहता है. विभाग का कहना है कि पर्यटन उद्योग पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. दार्जीलिंग का पर्यटन क्षेत्र तत्परता से पहाड़ी क्षेत्र के गतिरोध का जल्द और स्थायी समाधान चाह रहा है. लंबे समय से राज्य के दर्जे के लिए चल रहे आंदोलन के कारण आगामी सीजन में पर्यटक पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले इस स्थान का लुत्फ नहीं ले पायेंगे.
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दार्जीलिंग में इस साल गर्मियों में दुनियाभर से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा देखा गया था. लेकिन नौ जून को हुई हिंसा और अलग गोरखालैंड की मांग के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जेजेएम) द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल ने अचानक ही इसे सुनसान शहर में बदल दिया. हडताल को आगे बढ़ाने के समर्थन में कल रात से हो रहे प्रदर्शनों ने पहाड़ी क्षेत्र के कई हिस्सों को हिलाकर रख दिया है.
अनिश्चतकालीन बंद का समर्थन करने के लिए दार्जीलिंग, कुरसोंग, मिरिक, सोनाडा और कलिमपोंग में कल रात रैली निकाली गयी. जीजेएम के अंदरुनी मतभेदों के कारण लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी. पुलिस ने बताया कि जब कुछ व्यापारियों ने अपनी दुकान खोलने की कोशिश की, जीजेएम समर्थकों ने जबरन उन्हें बंद करवा दिया. पार्टी नेतृत्व ने दावा किया है कि बंद को स्थगित करने वाले फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें एक महिला की मौत हो गयी. पुलिस इन आरोपों को खारिज कर रही है.
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तमांग के घर को गोरखालैंड समर्थकों ने अस्त-व्यस्त कर दिया. उनके घर के बाहर पोस्टर लगा दिये जिसमें उन्हें गोरखालैंड का विश्वासघाती बताया गया है. गुस्से से भरे गुरंग ने बयान जारी कर कहा, बंद को वापस लेने या स्थगित करने का सवाल ही नहीं उठता है. हम ऐसा क्यों करेंगे? क्या सरकार ने गोरखालैंड पर बातचीत शुरू कर दी है? जवाब है नहीं. हम गोरखा लोगों से अपील करते हैं कि वह हड़ताल वापस लेने की तमांग की घोषणा का कड़ा विरोध करें. हड़ताल को स्थगित करने का उनको कोई अधिकार नहीं है. बंद को स्थगित नहीं किया गया है यह सुनिश्चित करने के लिए पहाडी क्षेत्र के सभी हिस्सों में आंदोलन को अब और तेज कर दिया जायेगा. राज्य सरकार और जीजेएम के बीच अगले चरण की बातचीत 12 सितंबर को उत्तर बंगाल में होगी.