नाकतला उद्यान संघ के पूजा पंडाल में वह में जीवन और मृत्यु के चक्र की परिकल्पना पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह अपनी परिकल्पना के माध्यम से दिखाना चाहते हैं कि पृथ्वी पर हर व्यक्ति अलौकिक शक्तियों के कारण जीवित है. जिसमें से अलौकिक शक्तियां निकल जाती हैं उसमें से प्राण निकल जाता है और वह ब्रह्मांड के तत्वों में लुप्त हो जाता है. उन्होंने बताया कि जीवनचक्र इन्ही शक्तियों से चल रहा हैं.
वहीं राजडांगा नवो उदय संघ में ‘मार्ग’ नामक परिकल्पना पर कार्य कर रहे हैं. सुशांत ने बताया कि इस परिकल्पना के माध्यम से वह विभिन्न धर्मों की राह को दिखलाना चाहते हैं. सुशातं ने कहा कि सभी धर्मों का लक्ष्य एवं रास्ता एक है. आज हर धर्म के प्रचारक अपने धर्म को परम बतलाते हैं.
जब्कि हर धर्म में मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग ही दिखलाया गया है. इस परिकल्पना के माध्यम से वह दिखलाना चाहते हैं कि हमे सब कुछ भुलकर लक्ष्य को देखकर मार्ग पर चलना चाहिये. वहीं 95 पल्ली जोधपूर पार्क के पंडाल में सुशांत ‘अधारा’ या ‘भ्रम’ नामक परिकल्पना पर काम कर रहे हैं. इस परिकल्पना के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि हम मूर्ति की पूजा करते हैं और सोचते हैं कि मूर्ति में प्राण और शक्ति हैं जबकि शक्ति हमारे अन्दर है न कि मूर्ति में. इन परिकल्पनाओं को वह पूजा पंडाल के माध्यम से लोगों के सामने लाना चाहते हैं.