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गोरखालैंड: पी. चिदंबरम से मिले शरद पवार आंदोलन को लेकर हुई गंभीर चर्चा

सिलीगुड़ी: पहाड़ पर करीब 90 दिनों से जारी गोरखालैंड आंदोलन को खत्म कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने कोई विशेष पहल शुरू नहीं की हो लेकिन विपक्ष उसमें भी खासकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) इस समस्या को लेकर काफी गंभीर है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार नयी दिल्ली में अपने […]

सिलीगुड़ी: पहाड़ पर करीब 90 दिनों से जारी गोरखालैंड आंदोलन को खत्म कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने कोई विशेष पहल शुरू नहीं की हो लेकिन विपक्ष उसमें भी खासकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) इस समस्या को लेकर काफी गंभीर है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार नयी दिल्ली में अपने आवास पर अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को लेकर कांग्रेस नेता व पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम तथा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला से चर्चा की. यूपीए सरकार में तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने विस्तृत रूप से उस समय जीटीए गठन तथा पहाड़ के हालात पर शरद पवार को जानकारी दी है.
श्री पवार ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला से भी अलग राज्य गोरखालैंड पर समर्थन की अपील की है.सिलीगुड़ी में इस संबंध में एनसीपी सांसद प्रफुल्ल पटेल की ओर से एक प्रेस बयान पार्टी के जिला अध्यक्ष फैजल अहमद ने मीडिया को दी. उनके द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि पहाड़ की समस्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है तथा राज्य सरकार व केन्द्र सरकार की लड़ाई में गोरखा समुदाय के साथ भेदभाव हो रहा है. गोरखा समुदाय की पहचान के लिए गोरखालैंड होना चाहिए. श्री पवार ने कहा कि पहाड़ के विकास के लिए समझौता हुआ, लेकिन देश में कहीं भी गोरखा समुदाय के जाने पर पहचान की दिक्कतें होती हैं. लोगों को लगता है कि गोरखा समुदाय भारत के नहीं, बल्कि नेपाल से हैं. वैसे भी देश में गोरखा समुदाय की आबादी डेढ़ करोड़ है.

इनकी पहचान एवं संस्कृति के आधार पर गोरखालैंड राज्य की स्थापना की जानी चाहिए. केन्द्र सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना पड़ेगा कि देश के नागरिक को ही अपने देश में पहचान को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं चुनावी वायदे में गोरखाओं का सपना हमारा सपना, का वादा किया था. क्या सबका साथ, सबका विकास में गोरखा समुदाय नहीं आते हैं, और अगर आते हैं तो अविलंब इस मामले पर समाधान हो. कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि गोरखाओं का विकास अगर होगा तो गोरखालैंड राज्य मिलने पर ही होगा. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि दार्जिलिंग में राज्य सरकार शांति स्थापित करे तथा त्रिपक्षीय वार्ता कर इसका समाधान हो. गोरखा भी देश के नागरिक हैं और वे संविधान के तहत अलग राज्य की मांग कर रहे हैं. उनकी मांगें पूरी तरह से जायज है.

इधर,एनसीपी सांसद तथा बंगाल प्रभारी प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि दार्जिलिंग की खूबसूरती विश्वभर में है. गोरखालैंड की मांग पर वह विपक्ष के सांसदों को गोलबंद करने का काम करेंगे.
बिमल गुरूंग को फंसाया जा रहा है
श्री पटेल ने कहा कि गोरखालैंड आंदोलन में बिमल गुरूंग को गलत ढंग से फंसाया गया है. उनके साथ-साथ अब राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस ने उनके बेटे एवं बेटी पर भी मुकदमा कर दिया है. यह सही राजनीति नहीं है. पहाड़ पर तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा बेमियादी बंद में बाजार खुलवाना महज एक नौटंकी है. श्री पटेल ने आगे बताया कि 11 सितंबर को पार्टी आलाकमान ने दार्जिलिंग पार्टी प्रतिनिधि व वरिष्ठ नेताओं को तलब किया है. जिसमें गोरखालैंड मामले पर आगे की रणनीति तय होगी.

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