Bengal : एक चाय की चुस्की देकर लूट लेंगे जिंदगी भर की कमाई
कोलकाता: साल भर नशाखुरानी के नये-नये तरीके इजाद करने और अपने लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग देनेवाले नशाखुरान गिरोह के लोग जहां आमतौर पर एटीभेन टैबलैट का इस्तेमाल करके लोगों को बेहोश करते हैं. वहीं अब ये रेल यात्रियों को जल्द बेहोश करने के लिए छिपकली के जहर का भी इस्तेमाल करने लगे हैं. चंद […]
कोलकाता: साल भर नशाखुरानी के नये-नये तरीके इजाद करने और अपने लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग देनेवाले नशाखुरान गिरोह के लोग जहां आमतौर पर एटीभेन टैबलैट का इस्तेमाल करके लोगों को बेहोश करते हैं. वहीं अब ये रेल यात्रियों को जल्द बेहोश करने के लिए छिपकली के जहर का भी इस्तेमाल करने लगे हैं.
चंद मिनटों में बेहोश कर देता है छिपकाली की पूंछ का जहर
गिरोह के सदस्य छिपकली पकड़कर उसकी पूंछ काट देते है. पूंछ कटने ही जगह से एक तरल पदार्थ निकलने लगता है, जो काफी जहरीला होता है. इस जहर का असर इतना तेजी से होता है कि इसकी थोड़ी- सी मात्रा ही व्यक्ति को चंद मिनटों में बेहोश कर देता है. गिरोह के लोग इस जहर को स्टेशनों पर मिलनेवाले टी बैग वाले चाय की रस्सी पर लगा देते है. जैसे टी बैग, चाय के कप में डाली जाती है, वह जहर चाय में घुल जाता है. गिरोह के लोग एक चाय की चुस्की देकर सामनेवाले की जिंदगी भर की कमाई लेकर नौ-दो ग्यारह हो जाते हैं. यह जहर काफी खतरनाक होता है. एक बार इसका सेवन करनेवाला कई दिनों तक बेहोश पड़ा रहता है.
कभी-कभी तो जान पर भी बन आती है. इसके साथ ही गिरोह के लोग केला, पेयजल, खाना, कोलड्रिंक्स और मिठाई में एटीभेन 2 एमजी, लारपोस टैबलैट की घोल या पावडर डाल देते हैं. कई बार तो इसके घोल को फलों में इंजेक्ट कर दिया जाता है. इसे खाते ही शिकार मिनटों में बेहोश हो जाता है.
आरपीएफ द्वारा इतने कदम उठाये जाने के बावजूद भी कुछ परेशानियां हैं, जो नशाखुरानी को पूरी तरह से रोकने में बाधा पैदा करती हैं. सबसे बड़ा कारण इन अपराधियों का एक जगह न होना होता है. इसमें अपराधी, शिकार यात्री और पुलिस तीनों चलायमान होते हैं. ये अपराधी अपना ठिकाना हमेशा बदलते रहते हैं. एक अपराधी वारदात करता है एक डिवीजन में और ट्रेन में सवार होता है दूसरे डिवीजन में और पकड़ा जाता है तीसरे डिवीजन में. वहीं, आरपीएफ और जीआरपी में आपसी तालमेल की कमी होना भी अपराधियों को बचा देता है.
क्या कहते हैं आरपीपफ अिधकारी : आरपीएफ/ हावड़ा मंडल के वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त अमरेश कुमार ने बताया कि हजारों यात्रियों में से एक नशाखुरान अपराधी को खोज निकालना समुद्र में से एक मोती निकालने जैसा है. ये अपराधी काफी शातिर होते है. हर घटना को अंजाम देने के बाद ये अपना नाम व ठिकाना बदल लेते हैं. हमारे अधिकारियों ने कई नशाखुरानों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. वह बताते हैं कि नशाखुरानी रोकने का सबसे बेहतर उपाय जागरूकता है. मीडिया नशाखुरानी के खिलाफ यात्रियों को जागरूक करें. वरिष्ठ सुरक्षा आयुक्त हावड़ा मंडल ने बताया कि हावड़ा स्टेशन पर इस तरह की वारदात रोकने के लिए रेलवे सुरक्षा बल का एक ड्रगिंग सेल बनाया गया है. जो प्लेटफार्मों, डाउन व अप ट्रेनों, साधारण बोगियों के लिए लगनेवाली लाइनों पर नजर रखता है.
त्योहारों के समय सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं नशाखुरानी गिरोह के सदस्य
हर कोई को दुर्गापूजा और ग्रीष्मकालीन छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार होता है. इन दिनों ज्यादातर स्कूल-काॅलेज बंद हो जाते हैं. लिहाजा हर कोई अपनी थकान मिटाने दूर स्थित पर्यटन स्थलों पर जाता है. वहीं नौकरी के सिलसिले में अपने घर-परिवार से दूर दूसरे राज्यों में रहनेवाले नौकरी पेशा लोग अपने घरों को लौटते हैं. लिहाजा इस समय ट्रेनों में गजब की भीड़ होती है और इसका फायदा उठाते हुए नशाखुरान गिरोह के लोग अपने शिकार की तलाश में लग जाते हैं. होली, दीवाली, छठपुजा, दुर्गापूजा और दशहरा जैसे त्योहार इनके निशाने पर होते हैं, क्योंकि इस समय कामगार अपनी साल भर की कमाई के साथ अपने घरों को लौटते हैं. नशाखुरानी गिरोह के लोग इतने शातिर होते है कि ये लोग एक नजर में देखकर पता लगा लेते है कि कौन कितना मालदार है. ऐसी घटनाओं की शुरुआत बड़े स्टेशनों से होती है, क्योंकि बड़े स्टेशनों से ज्यादा यात्री ट्रेनों में सवार होते हैं.
नशाखुरान ऐसे करते हैं शिकार की तलाश
- जहरखुरानी के अपराधी अपने शिकार की पहचान स्टेशनों से ही शुरू कर देते हैं. यात्रियों से बातें कर उनका विश्वास जीत लेते हैं
- टिकट खिड़की पर लंबी लाइन में खड़े यात्री को जल्दी टिकट दिलाने के अॉफर देकर
- साधारण बोगियों की लाइन में जहरखुरानी गिरोह के लोग मौजूद होते हैं. वे देर से पहुंचे किसी यात्रियों की सहायता करके या फिर अपनी सीट पर बैठाकर उनका विश्वास जीतने का प्रयास करते हैं
- ज्यादा मेल-जोल होने के बाद ये लोग खाने पीने का आफर देते है. जैसे चाय पिलाना, अपना पानी का बोतल पीने के लिए देना. नशाखुरानी गिरोह के लोग ऐसी जगह से चाय लेते हैं, जहां उनके लोग पहले से ही टी बैग की रस्सी में छिपकली का जहर लगा देते हैं.
- केला, पीने के पानी, खाना, कोकाकोला और मिठाई में एटीभेन 2 एमजी, लारपोस, कै पोस टैब्लेट को घोल दिया जाता है या फिर फलों में इंजेक्ट कर दिया जाता है. इसे खाते ही लोग बेहोश हो जाते हैं.
- कई बार नशीले स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जाता है. स्प्रे करते ही आसपास बैठे लोग चंद मिनटों में बेहोश हो जाते है. कई बार कपड़े व रुमाल में रखे नशीले पावड़र से यात्री को सुंघाकर बेहोश कर दिया जाता है
रेलवे सुरक्षा बल की ओर से उठाये जा रहे कदम
- स्टेशन परिसर में उद्घोषणा द्वारा यात्रियों को जागरूक करना
- सादे पोशाक में सामान्य कोचों में आरपीएफ जवान की तैनाती
- शिक्षण संस्थानों, बस अड्डों, आर्मी कैंपों में नशाखुरानी जागरूकता पर सेमिनार का आयोजन
- सभी ट्रेनों की साधारण और स्लीपर कोच में बैठे यात्रियों की वीडियोग्राफी
- ट्रेनों में औचक निरीक्षण, स्टेशनों और ट्रेनों से अवैध हाॅकरों को हटाना
- आरक्षण बोगियों में अनारक्षित लोगों को किसी भी सूरत में सवार होने की इजाजत नहीं