विज्ञापनों‍ के लिए पूजा कमेटियों पर दबाव

कोलकाता. महानगर में चार हजार से अधिक पूजा कमेटियों द्वारा दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. इनमें छोटे पूजा कमेटी भी शामिल हैं. दूसरी ओर इस वर्ष विभिन्न विभागो‍ं के प्रचार के लिए राज्य सरकार पूजा कमटियों पर दबाव डाल रही है. सरकारी विभागों‍ के प्रचार के लिए पूजा कमेटियो‍ं को अनिवार्य रूप से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2017 10:53 AM
कोलकाता. महानगर में चार हजार से अधिक पूजा कमेटियों द्वारा दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है. इनमें छोटे पूजा कमेटी भी शामिल हैं. दूसरी ओर इस वर्ष विभिन्न विभागो‍ं के प्रचार के लिए राज्य सरकार पूजा कमटियों पर दबाव डाल रही है. सरकारी विभागों‍ के प्रचार के लिए पूजा कमेटियो‍ं को अनिवार्य रूप से विज्ञापन लगाये जाने की निर्देश दिया गया है.

सरकार के इस निर्देश से विभिन्न पूजा कमेटियों पर खर्च का दबाव बढ़ गया है. इसका सबसे अधिक खामियाजा उत्तर कोलकाता के पूजा कमेटियों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि दक्षिण कोलकाता में अधिकांश बड़ी पूजा कमेटी हैं. उनके लिए किसी विज्ञापन का खर्च वहन करना बड़ी बात नहीं. उत्तर कोलकाता के कई पूजा मंडपों द्वारा सरकार के इस निर्देशिका का विरोध जताया जा रहा है.

क्या है सरकारी निर्देशिका में :राज्य सरकार ने पर्यटन, उपभोक्ता, मत्स्य सह अन्य विभागों के प्रचार करने के लिए विभिन्न पूजा कमेटियों को निर्देश दिया गया है. इन पूजा कमेटियों को उनके मंडप के आसपास गेट या बैनर होर्डिंग लगाने को कहा गया है. विज्ञापन तैयार करने के लिए सरकार के विभिन्न विभागों की ओर सीटी के जरिये मैटर दिया जा रहा है. इस अाधार पर पूजा कमेटियों को विज्ञापन तैयार करने को कहा गया है.
पूजा के बाद विज्ञापन खर्च का भुगतान करने का आश्वासन :सरकार की इस निर्देशिका के अनुसार विभिन्न पूजा कमेटियों को पहले अपने खर्च पर विज्ञापन तैयार कर बैनर होर्डिग तैयार करना होेगा. समस्या यहीं खत्म नहीं होती. पूजा कमेटियों को दो से तीन इन सरकारी विज्ञापनों से साथ तैयार करना होगा. इससे पूजा कमेटियों पर खर्च का दबाव और भी अधिक बढ़ सकता है.
फंड की कमी से परेशानी : तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सरकार की इस निर्देशिका से उत्तर कोलकाता के पूजा आयोजकों की परेशानी बढ़ गयी है, क्योंकि दक्षिण कोलकाता की तुलना में उत्तर कोलकाता के पूजा आयोजकों के पास फंड की कमी है. फंड के अभाव में सरकार के निर्देश का पालन करना बेहद कठिन कार्य है.

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