यूनिवर्सिटी बनेगा आइआइएसडब्ल्यूबीएम

कोलकाता: आइआइएसडब्ल्यूबीएम संस्थान न केवल देश का बल्कि साउथ-इस्ट एशिया का एक प्राचीन संस्थान है. इसकी गिनती बेहतरीन बिजनेस स्कूलों में की जाती है. यह संस्थान एक निजी ऑटोनोमस बॉडी के रूप में काम कर रहा है. अब इस प्राचीन संस्थान को यूनिवर्सिटी बनाने की तैयारी की जा रही है. आइआइएसडब्ल्यूबीएम की स्थापना कलकत्ता यूनिवर्सिटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 25, 2017 9:05 AM
कोलकाता: आइआइएसडब्ल्यूबीएम संस्थान न केवल देश का बल्कि साउथ-इस्ट एशिया का एक प्राचीन संस्थान है. इसकी गिनती बेहतरीन बिजनेस स्कूलों में की जाती है. यह संस्थान एक निजी ऑटोनोमस बॉडी के रूप में काम कर रहा है. अब इस प्राचीन संस्थान को यूनिवर्सिटी बनाने की तैयारी की जा रही है.
आइआइएसडब्ल्यूबीएम की स्थापना कलकत्ता यूनिवर्सिटी की सीनेट सदस्यों की सहमति से की गयी. यह 1953 की बात है. उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय थे.
अब इस संस्थान की एक नयी यात्रा 2018-2019 सत्र से एक यूनिवर्सिटी के रूप में शुरू होगी. भारत के प्राचीन बिजनेस स्कूल के बाद एक प्रबंधन यूनिवर्सिटी बनने पर राज्य में फैले कई बिजनेस स्कूल इसके तत्वावधान में आ सकते हैं. यह जानकारी देते हुए संस्थान की निदेशक सोमा बंद्योपाध्याय ने बताया कि क्वालिटी शिक्षा के मामले में एक प्रबंधन शिक्षा का एक बेहतरीन संस्थान है. यह संस्थान बड़ा अनुदान प्राप्त नहीं करता है, लेकिन अगर संस्थान को यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलता है, तो उसे फंडिंग करनेवालीं संस्थाओं से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिल सकती है. अभी संस्थान का राजस्व छात्रों की फीस के जरिये ही प्राप्त होता है. राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है व यूनिवर्सिटी बनने की बात पर खुशी व्यक्त की है. संस्थान को उसके पूर्व छात्रों द्वारा भी जाना जाता है. इस संस्थान में काफी मजबूत एल्युमनाइ आज भी जुड़े हैं, जिसमें मैनेजमेंट गुरु सुमन्त्रा घोषाल व उद्योगपति सुधीर जालान शामिल हैं.
संस्थान की निदेशक ने बताया कि आइआइएसडब्ल्यूबीएम एक निजी ऑटोनोमस बॉडी के रूप में विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ कई विकास योजनाओं पर काम कर रहा है. संस्थान सरकारी अनुदान प्राप्त संस्थान नहीं है. संस्थान को कुछ आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद इसका भी स्वरूप आइआइएम बन जायेगा. इससे न केवल छात्रों को पढ़ने के लिए अच्छी सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि इससे प्लेसमेंट को भी बढ़ावा मिलेगा. कलकत्ता यूनिवर्सिटी हमारे छात्रों को डिग्री प्रदान करता है, क्योंकि यह संस्थान यूनिवर्सिटी से एफिलियेटेड है. यूनिवर्सिटी के दर्जे के साथ इसमें बदलाव आयेगा. यह बिजनेस स्कूल या यूनिवर्सिटी बिना किसी मंजूरी के अपना पाठ्यक्रम तैयार कर सकती है. इसमें परीक्षा के नतीजों को भी समय पर घोषित किये जा सकते हैं. भारत का सबसे प्राचीन बी-स्कूल यूनिवर्सिटी बनने पर बाहरी छात्रों को भी पढ़ने का माैका मिलेगा.

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