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राष्ट्रीय दलों को मुकुल ने दी तवज्जो

कोलकाता: मुकुल राय अपने तय समय पर राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू को जब इस्तीफा देने पहुंचे, तो उस वक्त उनके कोट का रंग हरा था. उपराष्ट्रपति के दफ्तर में जब वह गये, तो उन्होंने खड़े होकर उनका स्वागत किया. उसके बाद श्री नायडू कुर्सी पर बैठ गये. मुकुल राय कुछ देर तक खड़े ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2017 8:24 AM

कोलकाता: मुकुल राय अपने तय समय पर राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू को जब इस्तीफा देने पहुंचे, तो उस वक्त उनके कोट का रंग हरा था. उपराष्ट्रपति के दफ्तर में जब वह गये, तो उन्होंने खड़े होकर उनका स्वागत किया. उसके बाद श्री नायडू कुर्सी पर बैठ गये. मुकुल राय कुछ देर तक खड़े ही रहे. बाद में उनके कहने पर वह कुर्सी पर उनके करीब बैठे.

इसके बाद वह जब संवाददाता सम्मेलन करने गये, तो उनकी आवाज काफी भर्रायी हुई थी. पार्टी से नाता तोड़ने का गम उनके चेहरे से साफ झलक रहा था. बावजूद इसके वह ममता बनर्जी का नाम केवल एक बार लिये, वह भी उनके बचाव में, जब नारदा-सारधा मामले में ममता बनर्जी को कुछ पता था या नहीं के सवाल पर. उस वक्त उन्होंने कहा कि आरोपी व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार हैं. इसके बाद वह जो भी निशाना साधे, इशारों में ही साधे. ममता दी का संबोधन करनेवाले मुकुल राय आज ममता जी कहते हुए उनका नाम लिया.
इसके साथ ही भाजपा को सांप्रदायिक दल मानने से इंकार कर दिया और कहा कि तृणमूल जन्म से ही आरएसएस और अशोक सिंघल के साथ संपर्क रख रही थी. इसके साथ ही ममता बनर्जी के स्टैंड पर सवाल उठाया कि कभी अटल बिहारी वाजपेयी को विकास पुरुष बताते हुए लालकृष्ण आडवाणी को खराब बोलती थी. आज आडवाणी अच्छे, नरेंद्र मोदी खराब के बाद नरेंद्र मोदी अच्छे, अमित शाह खराब का स्टैंड क्या सुविधा भोगी मानसिकता को नहीं दर्शाता. इसके साथ ही क्षेत्रिय दलों को देश हित के लिए घातक बताते हुए उन्होंने राष्ट्रीय पार्टी की जरूरत बतायी. यानि वह संकेत दिये कि भाजपा में जा सकते हैं क्योंकि क्षेत्रिय पार्टी देश के लिए घातक है. लिहाजा उनका संकेत स्पष्ट है. इसको लेकर लोगों में चर्चा हो गयी है कि लोग सवाल कर रहे हैं कि हरा कोट पहनने वाले मुकुल राय छुट्टी के बाद क्या गेरूआ कोट में नजर आयेंगे.

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