कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने दार्जीलिंग की पहाड़ियों से केंद्रीय सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) को हटाने पर 27 अक्तूबर तक रोक लगा दी है. अलग राज्य की मांग को लेकर वहां चल रहे तनाव के मद्देनजर पश्चिम बंगाल सरकार के लिए यह राहत की बात है. वहीं, हाईकोर्ट का यह फैसला केंद्र सरकार के सुरक्षा बलों को वापस बुलाने के फैसले को झटका है.
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दार्जीलिंग और कलिम्पोंग जिले से सीएपीएफ हटाने के केंद्र के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक नेमंगलवारको यह अंतरिम राहत दी. इसने राज्य सरकार से कहा कि दिवाली की छुट्टियों के बाद 23 अक्तूबर कोहाईकोर्ट खुलने पर वह नियमित पीठ के समक्ष आवेदन रखे.
कोर्ट के निर्देश के मुताबिक, केंद्र सरकार को केंद्रीय बल हटाने के संबंध में 23 अक्तूबर को हलफनामा देना होगा. राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा 26 अक्तूबर को देना होगा. 15 अक्तूबर को केंद्र ने राज्य सरकार को पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि पहाड़ से केंद्रीय बल को हटा लिया जायेगा.
इसके बाद राज्य सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें मांग की गयी कि पहाड़ से केंद्रीय बलों को न हटाया जाये. राज्य सरकारके एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार हाईकोर्ट के निर्देश की अवमानना कर रही है.
खंडपीठ के माननीय न्यायाधीश हरीश टंडन ने कहा कि उपयुक्त कारण के बगैर केंद्रीय बल को केंद्र कैसे हटा सकता है. इस पर केंद्र की ओर से वकील विपुल कुंडलिया ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में केंद्रीय बलों की जरूरत है. इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील को पीआईएल दाखिल करने का निर्देश दिया.