सिलीगुड़ी: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के दिशा-निर्देश और दार्जिलिंग जिला प्रशासन के फरमान के बाद सिलीगुड़ी में महानंदा नदी में छठ पूजा के गतिरोध को लेकर रविवार को हिंदीभाषी समाज एकबार फिर आंदोलन के मूड में आ गया. सुबह एयरव्यू मोड़ के पास महानंदा नदी के किनारे लाल मोहन मौलिक निरंजन घाट पर हजारों की तादाद में हिंदीभाषियों के अलावा मारवाड़ी, बंगाली, नेपाली व मुस्लिम समाज के श्रद्धालु एकजूट हुए. सभी ने एक मत से यह फैसला लिया कि इस बार महानंदा में छठ पूजा ही नहीं करेंगे.
वरिष्ठ समाजसेवी करण वीर सिंह ने मीडिया के सामने यह एलान किया कि अगर शासन-प्रशासन खुद लाल मोहन मौलिक निरंजन घाट पर छठ घाट बनाकर ढाई हजार से भी अधिक छठव्रतियों को घाट मुहैया कराता है तभी छठ पूजा मनाया जायेगा. अगर किसी को पूजा के लिए घाट मिलता और किसी को नहीं, तो कोई भी इस बार महानंदा नदी में छठ पूजा नहीं करेगा.
डीएम ने तुरंत की पूजा कमेटियों के साथ मीटिंग: छठ पूजा नहीं करने के इस एलान के बाद जब यह खबर चारों तरफ फैलने लगी तो यह सुनकर जिला प्रशासन की हालत पस्त हो गयी. खबर मिलते ही दार्जिलिंग जिला की अधिकारी (डीएम) जयसी दासगुप्त के साथ सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के आला अफसर भी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे और सभी के साथ शांतिपूर्वक बातचीत की. बाद में आंदोलन करनेवाले समाज के अगुवा नेता करण वीर सिंह, अधिवक्ता अत्रिदेव शर्मा, बिपिन बिहारी गुप्ता, संजय पाठक, विजय गुप्ता, जगदीश श्रीवास्तव व अन्य प्रतिनिधियों के साथ डीएम और सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के डीसीपी हेडक्वार्टर गौरव लाल ने एयरव्यू मोड़ ट्रॉफिक कंट्रोल रूम में घंटों तक मीटिंग की. मीटिंग के दौरान डीएम साहिबा ने महानंदा नदी के बीच में किसी भी कीमत पर पूजा घाट बनाने का सख्त निर्देश दिया. साथ ही सभी छठ व्रतियों और पूजा करनेवालों को घाट मुहैया कराने का वादा भी किया.
इसके लिए उन्होंने लाल मोहन निरंजन मौलिक घाट की सीढ़ियों व गैरज की ओर घाट की तीन कतार करने और नदी के किनारे से तीन फीट की दूरी पर ही घाट बनाने का फैसला लिया. पीछे की कतारवाले छठ व्रतियों को नदी तक पहुंचने में कोई असुविधा न हो इसके लिए कुछ-कुछ दूरी पर बगल से रास्ता निकालने का सुझाव भी दिया. उन्होंने छठव्रतियों को पूजा के दौरान नदी में जाकर पूजा करने की छूट दी, लेकिन पूजा-सामग्रियों को नदी में न बहाने और नदी पर अस्थायी पुल न बनाने की एकबार फिर गुजारिश की.
महिला छठव्रतियों ने डीएम की बोलती बंद की
महिलाओं के इस जवाब-तलब से डीएम साहिबा की बोलती बंद हो गयी और चुपचाप अपनी कार में सवार होकर खिसक लीं. डीएम साहिबा से जवाब-तलब करनेवाली भारती विश्वास, माया देवी, लक्ष्मी छेत्री, माया उपाध्याय व अन्य छठव्रती महिलाओं का कहना है कि हम 20-25 वर्षों से महानंदा नदी और घाट की साफ-सफाई कर परंपरागत तरीके से लोक आस्था का यह पूजा करते हैं. अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि केवल छठ पूजा से ही महानंदा गंदी होने लगी. वह भी वर्ष भर होनेवाले सभी देवी-देवताओं के पूजा संपन्न होने के बाद. साल भर महानंदा गंदी रहती है इसका जिम्मेदार कौन है. बाद में हजारों की तादाद में लोगों ने लाल मोहन निरंजन मौलिक घाट पर भी आंदोलन किया. शांति और सुरक्षा के मद्देनजर घाट पर भारी पुलिस बल को तैनात करना पड़ा.
डीएम व पूजा कमेटियों के फैसले से अधिकतर लोग नाखुश
मीटिंग में मौजूद समाजसेवियों ने डीएम साहिबा की सभी फैसलों को तो मान लिया, लेकिन जब बाहर निकलकर सबों को इस फैसले से अवगत कराया तो अधिकांश लोग नाखुश हो गये और गुस्सा में आकर कुछ देर के लिए एयरव्यू मोड़ पर सड़क अवरोध कर जाम कर दिया और छठ पूजा के आयोजन में आ रही अड़चन को लेकर शासन–प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी भी की. हालांकि पुलिस अधिकारियों ने तुरंत जाम हटवा लिया. वहीं, डीएम साहिबा मीटिंग रुम से बाहर निकलकर मीडिया से मुखातिब के दौरान जैसे ही यह बयान दी कि महानंदा में छठ पूजा आयोजक को लेकर एनजीटी के निर्देश से कुछ तथाकथित पुरुषों को ही तकलीफ है छठ व्रत रखनेवाली महिलाओं को कोई दिक्कत नहीं है. उसी दौरान छठ व्रत करनेवाली 20-25 महिलाओं का हुजूम डीएम साहिबा के सामने उमड़ पड़ा और नदी में परंपरागत तरीके से छठ पूजा करने में आ रही अड़चनों को लेकर जवाब-तलब किया.