52 साल की उम्र में मिला मातृ सुख
सिलीगुड़ी. नि:संतान रह जाना किसी भी दंपती के लिए बड़ा कष्टदायक होता है. लेकिन आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने ऐसे दंपतियों के लिए आशा की नयी किरण लाया है. उम्र के 52वें साल में एक महिला श्रीमती माया (कल्पित नाम) को मातृ सुख प्राप्त होने का गौरव मिला है. उल्लेखनीय है कि अधेड़ उम्र […]
सिलीगुड़ी. नि:संतान रह जाना किसी भी दंपती के लिए बड़ा कष्टदायक होता है. लेकिन आज के आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने ऐसे दंपतियों के लिए आशा की नयी किरण लाया है. उम्र के 52वें साल में एक महिला श्रीमती माया (कल्पित नाम) को मातृ सुख प्राप्त होने का गौरव मिला है.
उल्लेखनीय है कि अधेड़ उम्र के दंपती की एकमात्र 18 साल की बेटी एक सड़क हादसे का शिकार हो गई. उसके बाद से इस दंपती के जीवन में अंधेरा छाया था कि तभी आइवीएफ विशेषज्ञ व प्रजनन औषधि सलाहकार डॉ सेफाली बंसल माधव के साथ दंपती का परिचय हुआ. विशेषज्ञ चिकित्सक ने दंपती को भरोसा दिया कि उन्हें आइवीएफ पद्धति से संतान होगी. हालांकि तीन साल पहले से ही महिला मेनोपॉज में थी. दंपती की शुरूआती शारीरिक जांच करने के बाद उनका हार्मोनल इलाज शुरू किया गया.
नवंबर 2016 में आइवीएफ की प्रक्रिया से गुजरने के बाद महिला के गर्भ में भ्रूण स्थापित किया गया. आइवीएफ के प्रथम चक्र में ही महिला ने गर्भधारण कर लिया. उसके बाद जुलाई 2017 में महिला ने नेवटिया गेटवेल हेल्थ केयर के सेंटर के जेनोम में एक स्वस्थ और सुंदर बच्ची को जन्म दिया. डॉ सेफाली बंसल माधव ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि जेनोम सिलीगुड़ी के लिए यह एक उत्साहवर्द्धक समाचार है. वह स्वयं भी खुश हैं. जेनोम ने एक और नि:संतान दंपती के जीवन में खुशियां भरने में कामयाबी हासिल की है.