सियासत: भाजपा में जायेंगे या नयी पार्टी बनायेंगे, अब तक नहीं स्पष्ट, क्या होगा मुकुल का अगला कदम

कोलकाता: मुकुल राय को लेकर सस्पेंस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. उनके पुराने दल तृणमूल कांग्रेस और संभावित नये दल भाजपा दोनों में एक ही सवाल है. मुकुल दा क्या करेंगे. मुकुल दा अभी तक अपना पत्ता खुद नहीं खोले हैं, लेकिन भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने साफ कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2017 12:43 PM
कोलकाता: मुकुल राय को लेकर सस्पेंस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. उनके पुराने दल तृणमूल कांग्रेस और संभावित नये दल भाजपा दोनों में एक ही सवाल है. मुकुल दा क्या करेंगे. मुकुल दा अभी तक अपना पत्ता खुद नहीं खोले हैं, लेकिन भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने साफ कर दिया कि मुकुल राय भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई है. वहीं भाजपा के केंद्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि मुकुल राय के भाजपा में आने की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ गयी है. हालांकि मुकुल राय अभी स्पीक नाट की मुद्रा में हैं.
जानकारों का कहना है कि शुरुआती दौर में प्रदेश भाजपा के नेता उनको पार्टी में शामिल कराने के पक्ष में नहीं थे. वे चाहते थे कि मुकुल राय अलग पार्टी बनाकर भाजपा के साथ तालमेल रखते हुए तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के अभियान में अपना सहयोग दें. इस पर मुकुल राय राजी नहीं हुए. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के मुकुल राय के प्रति कमजोरी को देखते हुए प्रदेश भाजपा के एक गुट की तरफ से पार्टी संविधान का हवाला देते हुए मांग की जाने लगी कि मुकुल राय पहले भाजपा में आने के लिए आवेदन दें.

संविधान के मुताबिक उसके बाद उनके बारे में फैसला लिया जायेगा. इस पर भी मुकुल खेमे की तरफ से आपत्ति जतायी गयी, क्योंकि भाजपा के संविधान के अनुसार जो मांग हो रही थी, उससे मुकुल राय को अपना कद छोटा होने की आशंका थी, क्योंकि तब उनको अपने निवास स्थान के पते से भाजपा के पास आवेदन करना होता. आवेदन के बाद भाजपा के फॉर्म-ए को भरना पड़ेगा, जिसे स्थानीय भाजपा मंडल अध्यक्ष मंजूरी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पास भेजेगा, तब जाकर प्रदेश अध्यक्ष उनको भाजपा में शामिल कराने की औपचारिकता पूरा करेंगे.

ऐसा होने पर लोगों के बीच सीधा संदेश यही जाता कि मुकुल राय दिलीप घोष के नीचे हैं, जबकि मुकुल राय चाहते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व की पहल पर वह भाजपा में शामिल हो. अब जब कैलाश विजयवर्गीय और राहुल सिन्हा की तरफ से साफ कर दिया गया है कि मुकुल राय को लेकर सस्पेंस कुछ दिन में ही खत्म हो जायेगा. यानि नवंबर के पहले हफ्ते तक यह कार्रवाई पूरी हो जायेगी. तब यह सवाल उठने लगा है कि मुकुल के साथ कितने लोग आयेंगे? जो इनको इतनी तवज्जो दिया जा रहा है. इसका जबाब भी मुकुल खेमे से दिया जा रहा है.

इनके मुताबिक अभी दादा भाजपा में जायेंगे और अपनी पकड़ पार्टी पर मजबूत करेंगे. इसके बाद पंचायत चुनाव के समय जब पूरा प्रशासन चुनाव आयोग के अधीन होगा उस वक्त उनके समर्थक और तृणमूल कांग्रेस से नाराज लोग थोक के भाव से भाजपा में आयेंगे. अभी नहीं आने के पीछे उनका तर्क है कि जो भी मुकुल समर्थक थोड़ा भी हरकत में आये उनको पुलिस झमेले में फंसा दिया जा रहा है. ऐसे में फिलहाल मुकुल राय के भाजपा में जाने व हरकत में आने की घटना को तवज्जो दिया जा रहा है. लेकिन ना तो अभी उनके भाजपा की सदस्यता लेने की तिथि की घोषणा हो रही है और न ही सस्पेंस खत्म हो रहा है.

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