नपा चेयरमैन मनोज उपाध्याय की हत्या पर बोले दिलीप,तृणमूल की गुटबाजी ने ली जान

कोलकाता: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भद्रेश्वर नगरपालिका के चेयरमैन मनोज उपाध्याय की हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए ही तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने उन्हें अपने रास्ते से हटा दिया. दिलीप घोष ने कहा कि श्री उपाध्याय भले ही तृणमूल कांग्रेस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2017 8:48 AM
कोलकाता: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भद्रेश्वर नगरपालिका के चेयरमैन मनोज उपाध्याय की हत्या के लिए तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अपने स्वार्थ के लिए ही तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने उन्हें अपने रास्ते से हटा दिया. दिलीप घोष ने कहा कि श्री उपाध्याय भले ही तृणमूल कांग्रेस के नेता थे, लेकिन वे आरएसएस से जुड़े हुए थे. हाल के दिनों उनका भाजपा की ओर रुझान हो गया था.
उल्लेखनीय है कि मनोज उपाध्याय के शव पर माल्यार्पण करने गये हुगली जिला के प्रभारी मंत्री फिरहाद हकीम ने उनकी हत्या के लिए भाजपा और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि भाजपा हत्या की राजनीति करती है. बंगाल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए भाजपा ने मनोज की हत्या करवायी है. जो लोग सत्ता की लड़ाई कर रहे हैं, उन्हीं लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया है. उम्मीद करता हूं कि पुलिस मामले की सही तरीके से जांच कर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचायेगी.
उन्होंने कहा कि आरएसएस के कई लोग तृणमूल कांग्रेस में हैं. आरएसएस के सिद्धांतों के कारण मनोज इमानदारी से जनता का काम करते थे. अपने काम के दम पर वह चेयरमैन भी बने. उनके खिलाफ कोई आरोप या भ्रष्टाचार का मामला भी नहीं था. लेकिन पार्टी के नेताओं को वह जनता का पैसा लूट कर नहीं देते थे. संभवत: इसी बात की नाराजगी थी.
दिलीप घोष ने कहा कि पूरे हुगली जिले में हर हफ्ते राजनीतिक हिंसा में एक से दो लोगों की जान जा रही है. यहां पर बालू चोरी से लेकर तमाम तरह की आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. लोग मर रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार उसकी सुध नहीं ले रही है.
आरएसएस के पुराने संगठक थे मनोज
फिरहाद के बयान पर भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि मनोज उपाध्याय आरएसएस के पुराने संगठक थे. वे एक बेहतरीन संगठक और अच्छे प्रशासक थे. मेरे साथ भी उनका परिचय था. उस इलाके में वे हिंदुत्व का चेहरा बन गये थे. वह तृणमूल में होनेवाले गलत कामों के खिलाफ आवाज उठाते थे. वे भाजपा में आना चाहते थे. संभवत: ‍वे अपने साथ नगरपालिका के सभी सदस्यों को लेकर भाजपा में आनेवाले थे. शायद इसीलिए उन रास्ते से हटा दिया गया.

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