जेयू में प्रवेश परीक्षा के नियम को लेकर नया निर्देश

कोलकाता. जादवपुर विश्वविद्यालय द्वारा कुछ विषयों के लिए प्रवेश परीक्षा लेने व एडमिशन की अलग प्रवेश नीति नीति बनायी गयी है. इस पर असहमति व्यक्त करते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि इस नीति का पालन करने के बजाय बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश देना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2017 8:49 AM

कोलकाता. जादवपुर विश्वविद्यालय द्वारा कुछ विषयों के लिए प्रवेश परीक्षा लेने व एडमिशन की अलग प्रवेश नीति नीति बनायी गयी है. इस पर असहमति व्यक्त करते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि इस नीति का पालन करने के बजाय बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश देना चाहिए. विश्वविद्यालय में किसी कोर्स में रिक्त सीटों व एडमिशन प्रक्रिया पर र्चचा करने के लिए विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर शीघ्र ही उच्च शिक्षा मंत्री से मुलाकात करेंगे.

गौरतलब है कि हाल ही में शिक्षा मंत्री ने यह कहा था कि जेयू अंग्रेजी, तुलनात्मक साहित्य और अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभागों में स्नातक सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करता है. छात्रों को इस टेस्ट में प्रदर्शन के आधार पर भर्ती किया जाता है. अन्य विषयों में, प्रवेश बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर दिया जाता है. बीटेक के लिए, दाखिला राज्य संयुक्त प्रवेश परीक्षा में रैंक के आधार पर दिया जाता है. इसमें कहीं समानता नहीं है.

विश्वविद्यालय को केवल अंकों के आधार पर छात्रों को स्वीकार करना होगा. मंत्री ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को धन देती है, इसलिए सरकार विश्वविद्यालय के मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है. मंत्री के इस बयान के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन काफी सतर्क हो गया है. अब इस पर एक बार फिर से बहस छिड़ गयी है. इस मामले में जेयू के एक प्रोफेसर का कहना है कि विश्वविद्यालयों को छात्रों को जिस तरह से चाहे, क्राइटेरिया के आधार पर प्रवेश देने का अधिकार होना चाहिए. सरकार को तब तक शिकायत नहीं करनी चाहिए जब तक प्रक्रिया उचित नहीं हो या मेरिट-आधारित प्रणाली को कहीं अगर नजरअंदाज किया गया हो. विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग का दाखिला का अपना नियम है, अंक व मेधा के आधार पर ही दाखिला दिया जाता है, इस हिसाब से एडमिशन टेस्ट जरूरी हो जाता है. सरकार को इसकी गंभीरता समझनी होगी. अब इस मुद्दे पर विचार-विर्मश करने के लिए विश्वविद्यालय अधिकारी विभाग से फिर बैठक करेंगे.

Next Article

Exit mobile version