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अलग पहचान बनाने को अग्रसर आयुध निर्माण फैक्टरियां : वाजपेयी

कोलकाता. भारतीय आयुध निर्माणियों का लगभग 200 से भी ज्यादा वर्षों का गौरवमयी इतिहास रहा है जो पूरे विश्व में अलग पहचान बनाने को अग्रसर हैं. साथ ही आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आयुध निर्माणियां प्रौद्योगिकी क्षमताओं में विशिष्टता लाने की ओर बढ़ रही हैं. उत्पादन के दौरान जरूरी सामानों के आयातों […]

कोलकाता. भारतीय आयुध निर्माणियों का लगभग 200 से भी ज्यादा वर्षों का गौरवमयी इतिहास रहा है जो पूरे विश्व में अलग पहचान बनाने को अग्रसर हैं. साथ ही आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आयुध निर्माणियां प्रौद्योगिकी क्षमताओं में विशिष्टता लाने की ओर बढ़ रही हैं.

उत्पादन के दौरान जरूरी सामानों के आयातों को ज्यादा से ज्यादा कम करने की कोशिश की जा रही है. यानी खुद डिजाइन तैयार कर सामानों का निर्माण कर पूरी तरह से प्रोडक्शन के लिए आत्मनिर्भर होने की कोशिश जारी है. खर्च कम करने की कोशिश जारी है. इसके लिए देश के निजी सेक्टर सहयोग कर रहे हैं. यही वजह है कि भारतीय आयुध निर्माणियां निर्यात के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही हैं. इसी का नतीजा है कि इस वर्ष यूएइ से 232 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला. इतनी बड़ी राशि का ऑर्डर संभवत: पहला है.

ये बातें आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के डीजीओएफ व चेयरमैन एससी वाजपेयी ने बुधवार को कहीं. वे महानगर स्थित आयुध निर्माणी बोर्ड के मुख्यालय में पहला 100 किलोवाॅट रूफटॉप सोलर पावर प्लांट (एसपीपी) के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे जहां उन्होंने प्लांट को आधिकारिक रूप से शुरू किया. इस मौके पर उन्होंने आयुध निर्माणियों के विषय में और कई बातें बतायीं. श्री वाजपेयी ने कहा कि नेशनल सोलर मिशन के तहत ओएफबी ने दिसंबर, 2018 तक 10 मेगावाट रूफटॉप 195 मेगावॉट ग्राउंड माउंटेड सोलर पॉवर प्लांट और अतिरिक्त 40 मोगावाट सोलर पावर प्लांट निर्माण का लक्ष्य रखा है जिसकी शुरुआत हो चुकी है. आयुध निर्माणी बोर्ड के मुख्यालय में पहला 100 किलोवाॅट रूफटॉप सोलर पावर प्लांट कीर्ति सोलर लिमिटेड के सहयोग से लगाया गया है. आयुध निर्माणियां बोर्ड के कोलकाता मुख्यालय के अंतर्गत 41 फैक्टरियां, लगभग नौ प्रशिक्षण केंद्र एवं तीन आंचलिक मार्केटिंग सेंटर हैं. आयुध निर्माणी बोर्ड केवल सशस्त्र सेना के लिए ही नहीं, बल्कि राज्यों की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए भी हथियार और गोला बारूद (आर्म्स एंड एम्यूनिशन) की आपूर्ति करता है.

देश की सुरक्षा के क्षेत्र में यह चौथा स्तंभ माना जाता है. ओएफबी ने अगले वित्तीय वर्ष में 20 हजार करोड़ रुपये के प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा है. बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माण के लिए साधारणत: ड्यूपोंट टेक्न‍ोलॉजी का इस्तेमाल होता है लेकिन अब कार्बन नैनो ट्यूब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की कोशिश जारी है. इसके सफल होने पर इससे बुलेट प्रूफ जैकेट का वजन आठ किलो से दो किलो कम हो सकता है. उन्होंने कहा कि इंसास 5.5 कैलिबर के स्थान पर 7.62/51 कैलिबर असाल्ट राइफल की मांग की गयी है.

प्रयोगात्मक तौर पर आयुध निर्माणी ने 7.62/39 राइफल तैयार की है. नवीनीकरण का कार्य जारी है. शुरुआती तौर पर इसके लिए सैंपल भी तैयार किये गये हैं. केवल गोला-बारूद एवं विस्फोटक ग्रुप के अलावा हार्डवेयर के विनिर्माण के लिए भी ओएफबी ने व्यापक प्रसार की योजना बनायी है. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अन्य भावी योजनाओं के बारे में भी बताया. कार्यक्रम के दौरान कीर्ति सोलर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डी भागचंदका, कीर्ति सोलर लिमिटेड के निदेशक रचित जालान, ओएफबी के सदस्य वीके तिवारी समेत अन्य गणमान्य मौजूद रहे.

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