हिंदी में छपे लीफलेट में कई अशुद्धियां

हावड़ा: हावड़ा नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू के प्रति जागरूकता के लिए हिंदी में प्रकाशित लीफलेट हंसी का पात्र बन गया है. हिंदी में प्रकाशित लीफलेट में इतनी अशुद्धियां हैं कि चहुंओर निगम की आलोचना हो रही है. बता दें कि उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र में हिंदी भाषियों की जनसंख्या 65-70 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2017 11:45 AM

हावड़ा: हावड़ा नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू के प्रति जागरूकता के लिए हिंदी में प्रकाशित लीफलेट हंसी का पात्र बन गया है. हिंदी में प्रकाशित लीफलेट में इतनी अशुद्धियां हैं कि चहुंओर निगम की आलोचना हो रही है. बता दें कि उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र में हिंदी भाषियों की जनसंख्या 65-70 फीसदी है, जबकि बाली विधानसभा क्षेत्र में 45-50 प्रतिशत लोग हिंदी भाषी हैं.

मध्य हावड़ा आैर दक्षिण हावड़ा में भी हिंदी भाषियों की जनसंख्या 30-40 प्रतिशत के आस-पास है. हावड़ा शहर को मिनी इंडिया के नाम से जाना जाता है. शहर में बांग्ला भाषियों के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात के अधिकतर लोग निवास करते हैं. बांग्ला के बाद हिंदी इस शहर की अधिक बोले जानेवाली भाषा है.

वर्तमान में शहर के पुलिस आयुक्त समेत अन्य बड़े पदों पर तैनात कुछ आइपीएस भी हिंदीभाषी हैं. नगर निगम के कई वार्डों के पार्षद और दो विधायक (लक्ष्मी रतन शुक्ला व वैशाली डालमिया) भी हिंदीभाषी हैं. इसके बावजूद हिंदी में प्रकाशित लीफलेट में अशुद्धियों की भरमार है. शहरवासियों का कहना है कि हिंदी भाषी पार्षद होने के बावजूद आखिर कैसे गलती छप गयी. निश्चित तौर पर यह निगम की लापरवाही है.

मुझे ऐसी शिकायत मिली है. शहर में हिंदी भाषियों की संख्या अधिक है. लीफलेट में छपी सारी बातें एक हिंदीभाषी व्यक्ति ने लिखी थी. इसके बावजूद इसमें कई गलतियां हैं. जल्द इसे सुधार कर नया लीफलेट प्रकाशित किया जायेगा, जिससे हिंदीभाषी लोगों को समझने में दिक्कत ना हो.

भास्कर भट्टाचार्य, एमएमआइसी, स्वास्थ्य विभाग

हिंदी भाषियों का ही नहीं, बल्कि यह राजभाषा अपमान है. मुझे नहीं मालूम कि सत्ता पक्ष के कई पार्षद हिंदी भाषी हैं, फिर क्यों ऐसी गलतियां होती हैं.

उमेश राय, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा

यह सरासर हिंदी का अपमान है. एक भाषा का अपमान करने का अधिकार किसी को नहीं है. एक जानकार से प्रूफ चेक कराने के बाद लीफलेट बांटना चाहिए. निश्चित तौर पर यह संबंधित विभाग की लापरवाही है.

वैशाली डालमिया, तृणमूल विधायक, बाली

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