लजीज खाने की तरस पूरी करने को गुनहगार बन गये बच्चे
कोलकाता: आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि ईश्वर किसी को भी नया जन्म देकर धरती पर भेजते हैं, तो उसके लिए रोटी का इंतजाम भी वही कर देते हैं. लेकिन धरती पर कुछ बच्चे धनी परिवार में जन्म लेते हैं, तो कुछ गरीब या फिर मध्यमवर्ग परिवार में. इसके बाद से ही उनकी […]
कोलकाता: आमतौर पर लोगों का यह मानना है कि ईश्वर किसी को भी नया जन्म देकर धरती पर भेजते हैं, तो उसके लिए रोटी का इंतजाम भी वही कर देते हैं. लेकिन धरती पर कुछ बच्चे धनी परिवार में जन्म लेते हैं, तो कुछ गरीब या फिर मध्यमवर्ग परिवार में. इसके बाद से ही उनकी जिंदगी व परवरिश परिवार की हैसियत के हिसाब से बदलने लगती है.
आज तहकीकात में आठ ऐसे मासूम बच्चों के बारे में पढ़ेंगे, जो लजीज व्यंजन खाने की तरस को पूरा करने के लिए गुनाह के रास्ते पर चल पड़े. परेशान पुलिस को जब इन मासूम बच्चों के गुनाह में शामिल होने का पता चला, तो वे भी हैरान रह गये. अंत में पुलिस न उन सभी आठ मासूम बच्चों को सुधार गृह में भेज दिया. वहां उन्हें बेहतर जिंदगी व अच्छी परवरिश दी जा रही है.
क्या है मामला
पुलिस सूत्रों के मुताबिक लालबाजार के बग्लरी विभाग की टीम ने दक्षिण कोलकाता के विभिन्न घरों में चोरी करने के आरोप में आठ मासूम बच्चों को पकड़ा था. सभी बच्चों की उम्र 10 से 12 वर्ष के बीच थी. ये दक्षिण 24 परगना के सोनारपुर, बारुईपुर व लक्खीकांतपुर के रहनेवाले थे. इन्हें दक्षिण कोलकाता के सर्वेपार्क, यादवपुर, बांसद्रोनी व कसबा जैसे इलाकों में लोगों के घरों से इलेक्ट्राॅनिक्स सामान चुराने के आरोप में सबूत के साथ गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार बच्चों में किसी के पिता मजदूरी कर घर चलाते थे, तो किसी के पिता वैन चालक थे. कुछ की मां घरेलू आया का काम करती थी तो कुछ की खेत में मजदूरी. पुलिस के सामने एक सवाल था. इनके बच्चे आखिरकार घरों से निकलकर ऐसे काम क्यों करने लगे.
घर के भोजन के अलावा कुछ और भी खाने का होता है शौक
पकड़े गये बच्चों ने बताया कि घर के आसपास जब वे दोस्तों के साथ खेलते थे, इधर-उधर उनके साथ घूमने जाते थे, तो आसपास की दुकानों के बाहर लगे खाने के पोस्टर व उनमें जायकेदार व्यंजन की तस्वीरें देखते थे. उन दुकानों में हमउम्र बच्चों को अपने मां-पिता के साथ खाते देख उनकी भी ऐसी इच्छा होती थी. घर में सिर्फ रोटी, चावल और सब्जी ही खाने को मिलती थी. ऐसे में जेब में रुपये नहीं होने के कारण वे ऐसे खाने नहीं खा पाते थे.
समय के साथ बढ़ने लगीं सबकी इच्छाएं
पकड़े गये युवकों ने बताया कि शुरुआत में छोटी दुकानों में मिलनेवाले व्यंजन वे खरीदकर खाने लगे. छिनताई व चोरी के बाद हाथों में रुपये ज्यादा अाने लगे. अब वे कभी-कभी बड़ी दुकानों व होटलों में भी घुस जाते थे और मनचाहा खाना खाकर इच्छाएं पूरी करते थे. परिवार के सदस्य इस बात से काफी अनजान थे. इस तरह से उनके दिन काफी अच्छे चल रहे थे. अब वे अपने इलाकों के साथ आसपास के इलाकों में तड़के या फिर रात को ग्रुप बनाकर घरों की खिड़कियों पर रखे कीमती सामान जैसे मोबाइल, घड़ी, लैपटाॅप व हैंडफोन तक लेकर भागने लगे. चोरी के इन उपकरणों को वह किसी भी स्टेशन व किसी स्कूल के बाहर ले जाकर बेचकर रुपये इकट्ठा करने लगे थे.
इलाके में बढ़नेवालीं चोरी की घटनाओं से परेशान होने लगी पुलिस
पुलिस का कहना है कि इधर दक्षिण कोलकाता के कसबा, बांसद्रोनी, सर्वेपार्क, रिजेंटपार्क व यादवपुर जैसे इलाकों में घरों में खिड़कियों के पास से होनेवाली चोरी की शिकायतें बढ़ने के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया. सफेद पोशाक में पुलिस की तैनाती कर इलाके की गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी. एक-दो दिन से बढ़कर एक सप्ताह से ज्यादा तक नजर रखने के बावजूद कोई आरोपी पकड़ में नहीं अाया. इस बीच इलाके में चोरी की वारदातें फिर भी थम नहीं रही थी.
तीन महीने की मेहनत के बाद एक सुराग ने पुलिस को दिलायी सफलता
पुलिस ने बताया कि आखिरकार कौन ऐसा गैंग चोरी की इन वारदातों में जुड़ा है. तीन महीने तक गिरोह को पकड़ने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली थे. इधर, चोरियों की घटनाएं लगातार इस दौरान भी घटती जा रही थी.
इसी जांच के बीच एक सुराग से उन्हें सफलता हाथ लगी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक मुखबिर ने बताया कि गत कुछ दिनों से कुछ रेलवे स्टेशनों के बाहर कुछ बच्चे काफी सस्ती कीमत पर मोबाइल, लैपटॉप, कीमती घड़ियां व हेडफोन बेच रहे हैं. जांच शुरू हुआ तो पता चला कि वहां वही चोरी के सामान बेचे जा रहे हैं, जिसे घरों से चुराया जा रहा था. इसके बाद ग्राहक बनकर पुलिस भी उन सामान को खरीदने पहुंची. एक स्टेशन के बाहर कुछ बच्चों को चोरी का सामान बेचते देख पुलिस हैरान हो गयी. ये बच्चे पहले भी कई इलाकों में देखे गये थे, जहां चोरियां हुई थीं. लेकिन बच्चे होने के कारण पुलिसकर्मियों का उनपर ध्यान नहीं गया था. चोरी के सामान बेचते रंगेहाथों पकड़ने के बाद सभी को पकड़कर जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड के निर्देश पर उन्हें समझाकर बेहतर जिंदगी में वापस लौटाने के लिए सभी को सुधार गृह में भेजा गया है.
शौक पूरा करने को आठ साथियों ने बना लिया गैंग
बच्चों ने बताया कि सिर्फ वही नहीं, उसके साथ जो भी बच्चे रहते थे, खेलते-कूदते थे, सभी उसी तरह के लजीज खाना खाने को तरस रहे थे. कई बार घर में कभी मां तो कभी पिता से रुपये मांगे. लेकिन मिलने वाले रुपये उतने नहीं थे, जितने में वह खाना खरीदा जा सके. गुस्से में आकर उनके साथ रहनेवाले आठ दोस्तों में से एक युवक ने इलाके में एक व्यक्ति से मोबाइल छीन लिया. उसे कम कीमत में एक व्यक्ति को बेचकर मिलनेवाले रुपये से लजीज खाने को उस दुकान से खरीदा. आठ दोस्तों की तुलना में दुकान से खरीदा गया खाना काफी कम था, लेकिन उसका स्वाद सभी दोस्तों की जुबान पर चढ़ गया था. फिर क्या था, आठों दोस्तों ने मिल कर गैंग बनाया. खेलकूद की बात कहकर घर से निकलने के बाद वे आये दिन लोगों के मोबाइल व सड़कों पर निकलने वाले कपड़े व सब्जियों के ठेले से रुपये चुराकर भागने लगे. इस तरह से उसके दोस्त अच्छा खाना भी खरीद कर खाने लगे. कभी-कभी हॉल में नयीं फिल्में भी देखने लगे.