संहति दिवस की सभा से ममता ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा आज भी हो रही विभाजन की राजनीति

कोलकाता: बाबरी मस्जिद विध्वंस के काले इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता है. उस दिन जो हुआ और कोलकाता में जिस तरह हिंसा हुई थी, वे दृश्य मेरी आंखों के सामने तैरते हैं. वही विभाजन की राजनीति आज भी हो रही है. इसे हर कीमत पर हमें रोकना होगा. यह अपील संहति दिवस के मंच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 7, 2017 10:26 AM
कोलकाता: बाबरी मस्जिद विध्वंस के काले इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता है. उस दिन जो हुआ और कोलकाता में जिस तरह हिंसा हुई थी, वे दृश्य मेरी आंखों के सामने तैरते हैं. वही विभाजन की राजनीति आज भी हो रही है. इसे हर कीमत पर हमें रोकना होगा. यह अपील संहति दिवस के मंच से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से किया. उन्होंने केंद्र सरकार की हिंदुत्ववादी नीति पर भी जमकर निशाना साधा.
छह दिसंबर 1992 को याद करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि 25 साल पहले उस दिन जो हुआ था, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. इन सब मुद्दों पर मैं राजनीति नहीं करती, लेकिन दंगा और हंगामा से पीड़ित लोगों के बीच मैं शुरू से रही. उस वक्त वाममोर्चा की सरकार थी. वामपंथी मंत्री राइटर्स बिल्डिंग से डर से निकल नहीं रहे थे. उस वक्त मैं खुद तब के मुख्यमंत्री ज्योति बसु से मिली थी और कहा था कि कि उनकी जो भी मदद चाहें, वे ले सकता हैं. मैं खुद दंगा प्रभावित इलाकों में गयी. रातभर घूमती रही. इस तरह की घटना दोबारा नहीं हो, इसके लिए उन्होंने लोगों से सर्तक रहने की सलाह दी.
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है, लेकिन हिंदुत्ववादी नीति को लेकर ही केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है. जबकि भारत में विभिन्न भाषाआें व धर्म के लोग रहते हैं. यहां एक भाषा के साथ दूसरी भाषा का मेल है, लेकिन एक पार्टी की वजह से इसमें विभाजन हो रहा है. असहिष्णुता एक पार्टी का बड़ा हथियार बना हुआ है. उन्होंने खुद को हिंदू बताते हुए कहा कि इसका मतलब क्या यह है कि में दूसरे धर्म से घृणा करूं. विभाजन करनेवाले यह तय कर रहे हैं कि कौन क्या खायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि वह चेयर का केयर करें, इसके लिए फेयर होना होगा. वर्ना यह कुर्सी हमेशा किसी की नहीं रहती. लिहाजा इसका सम्मान करना चाहिये. ऐसा नहीं करनेवाले आरोप लगाते हैं कि ममता बनर्जी तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं. लोगों को गलत तस्वीर पेश किया जाता है. पश्चिम बंगाल में 30 फीसदी मुसलमान हैं. आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग हमारे यहां हैं. इनका ख्याल रखना मुख्यमंत्री के रूप में मेरा धर्म हैं. मैं उनका ख्याल रखूंगी, जिसको जो कहना है, वह कहे. मैं इसकी परवाह नहीं करती.
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह मीडिया को नियंत्रित कर रही है. विरोध में आवाज उठानेवाले लोगों और पत्रकारों की हत्या की जा रही है. देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है. उन्होंने चुनौती दी कि अगर दम है, तो वह विकास के कार्यों में हमसे मुकाबला करे. विभाजन और दंगे की राजनीति बंद करे.

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