पुलिस की मौजूदगी में तृणमूल के लोगों ने किया बूथों पर कब्जा : दिलीप
कोलकाता : सबंग चुनाव में भारी धांधली का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने संवाददाताओं से कहा कि इस उपचुनाव में एक बार फिर साफ हो गया कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है. उन्होंने कहा कि सबंग उपचुनाव के नतीजों और हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है […]
कोलकाता : सबंग चुनाव में भारी धांधली का आरोप लगाते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने संवाददाताओं से कहा कि इस उपचुनाव में एक बार फिर साफ हो गया कि बंगाल में लोकतंत्र नहीं है. उन्होंने कहा कि सबंग उपचुनाव के नतीजों और हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मतदान शुरू होने के साथ ही कुल 306 बूथों पर से 150 बूथ पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा हो गया. विरोधी दलों के एजेंटों तक को घुसने नहीं दिया गया. जो अंदर प्रवेश कर पाये, उनको मारपीट कर खदेड़ दिया गया.
दिलीप घोष के दावे के मुताबिक चुनाव के दौरान हुई हिंसा में कुल 31 भाजपा कार्यकर्ता जख्मी हुए. इसमें 11 की हालत बेहद गंभीर है. इनको विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया गया है. उनके दो कार्यकर्ता अभी तक लापता है. उन्होंने आशंका जतायी कि लापता भाजपा कार्यकर्ताओं की जान का खतरा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुनाव से साबित हो गया है कि बंगाल में अब लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. तृणमूल कांग्रेस पुलिस को निष्क्रिय करके गुंडों के बल पर चुनाव जीतने की जुगत में लगी हुई है.
उन्होंने नाराजगी जताते हुये कहा कि चुनाव के दौरान हमलोगों ने सभी बूथों पर केंद्रीय बल की मांग की थी, लेकिन हकीकत में केंद्रीय बल को बैठा कर रखा गया था. कुल 18 कंपनी केंद्रीय बल पूरे चुनाव के दौरान आयी थी, लेकिन इस बल को लेकर इलाके में गश्त लगाने व बूथों पर तैनात करने की मांग हमने की थी, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं दिखा. पुलिस मूकदर्शक बनी रही और तृणमूल कांग्रेस के गुंडे लोकतांत्रिक अधिकार को लूटते रहे. कुल मिलाकर ममता बनर्जी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बंगाल में साल 2016 में जिस तरह का चुनाव हुआ था वह उसी रास्ते पर हैं. उनके लिए लोकतंत्र कोई मायने नहीं रखता है.
उन्होंने कहा कि जिस पुलिस अधिकारी भारती घोष को चुनाव आयोग ने सबंग इलाके में घूसने पर रोक लगा दी थी. वह और एक अधिकारी चुनाव के एक दिन पहले देर रात तक इलाके में तृणमूल कांग्रेस की रणनीति बनाती नजर आयीं. यह सब जाहिर करता है कि ममता बनर्जी को यह आभास हो गया है कि वह जनता की कसौटी पर अब खरा नहीं उतर रही है. जनता का मोह भंग हो रहा है. इसलिए सत्ता में रहना है तो वामपंथियों का रास्ता पकड़ना होगा. लिहाजा अब वह खुलकर बूथ लूटने और मतदाताओं को किसी भी तरह से निष्पक्ष मतदान नहीं करने देने की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. बंगाल में लोकतंत्र खतरे में है.