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अब अच्छे नंबर लाने के लिए अंग्रेजी नहीं बनेगी बाधक
हिंदी भाषियों की लड़ाई और प्रभात खबर की पहल को राज्यभर के हिंदी भाषियों ने सराहा कोलकाता : उच्च माध्यमिक परीक्षा के प्रश्न पत्र भी हिंदी में देने की खबर की पुष्टि के बाद अब हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी अच्छे नंबर लाने में बाधक नहीं बनेगी. राज्य सरकार की इस घोषणा और […]
हिंदी भाषियों की लड़ाई और प्रभात खबर की पहल को राज्यभर के हिंदी भाषियों ने सराहा
कोलकाता : उच्च माध्यमिक परीक्षा के प्रश्न पत्र भी हिंदी में देने की खबर की पुष्टि के बाद अब हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी अच्छे नंबर लाने में बाधक नहीं बनेगी. राज्य सरकार की इस घोषणा और इस लड़ाई में प्रभात खबर के योगदान को महानगर के प्रतिष्ठित स्कूल कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाओं और छात्रा-छात्राओं ने तहे दिल से स्वागत किया है.
नीतू गुहा, अंग्रेजी की शिक्षिका, सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय : हिंदी में प्रश्नपत्र तो आने ही चाहिए, क्योंकि हिंदी भाषा हमारी राजभाषा है और बंगाल में हिंदी पढ़नेवाले विद्यार्थियों की बहुत अच्छी संख्या है. प्रभात खबर की पहल काफी सराहनीय है.
अनीता राय, हिंदी की शिक्षिका, कमला शिक्षा सदन : हिंदी भाषियों और हिंदी अखबारों की लड़ाई सफल रही. विद्वानों का कहना है कि यदि विद्यार्थियों को शिक्षा उनकी मातृभाषा में मिले तो उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. इससे बच्चों का मानसिक विकास काफी अच्छा होता है. आज बांग्लाभाषी छात्रों को जो सुविधा प्राप्त है, वह अब हिंदी भाषी छात्रों को भी प्राप्त होगी, जिससे उनके पास होने के प्रतिशत में भी वृद्धि होगी.
सुषमा पांडेय, अंग्रेजी की शिक्षिका, सावित्री पाठशाला : हिंदी माध्यम के छात्र काफी दिनों से भाषा को लेकर समस्या से जूझ रहे थे. इसके लिए पहले भी कई बार प्रयास किये गये थे. इससे 10वीं के प्रश्न पत्र हिंदी में मिलने लगे, लेकिन 12वीं के प्रश्नपत्र अंग्रेजी भाषा में ही मिल रहे थे, लेकिन आज प्रभात खबर की खबर पढ़ कर जानकारी हुई कि अब 12वीं के भी सभी प्रश्नपत्र हिंदी में मिलेगी, इससे खाफी खुशी हो रही है.
शिव प्रकाश दास, शिक्षक, भद्रकाली शिवशंकर विद्यालय, हिंदमोटर : पहले माध्यमिक अब उच्च माध्यमिक में भी सभी विषयों के प्रश्नपत्र हिंदी में देने के लिए राज्य सरकार का फैसला काफी सराहनीय है. इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये, कम ही है. एचएस में अंग्रेजी में प्रश्नपत्र आने से छात्रों को समझने में परेशानी होती थी.
डॉ रमाशंकर सिंह, शिक्षक, फॉस्टट्रैक ट्यूटोरियल इंस्टीट्यूट, रिसड़ा : हिंदी में प्रश्नपत्र आने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जो विद्यार्थी उसे समझ नहीं पाते थे, वह अब उसे समझ पायेंगे. अब वे ज्यादा नंबर से पास हो पायेंगे.
रीना पांडेय, शिक्षिका, सोहनलाल देवरालीय बालिका विद्यालय : बंगाल में भी दसवीं और बारहवीं के प्रश्नपत्र हिंदी में आये यह सपना हर हिंदीभाषी ने देखा था.
आज हम अपने उस सपने को सच होता देख रहे हैं. इसे ही तो सपना सच्च होना कहते हैं. इसके लिए सरकार व प्रभात खबर दोनों ही बधाई के पात्र हैं. हमने ऐसे कई छात्र-छात्राओं को देखा है, जो अंग्रेजी के कम ज्ञान के कारण प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी नहीं दे पाते थे, लेकिन अब एेसा नहीं होगा.
शंकर सिंह, शिक्षक, नई बस्ती श्रीशिव हाईस्कूल हिंदी, टीटागढ़ : हिंदी हमारे देश की राजभाषा है. इस कारण देश के हर राज्य में हिंदी माध्यम में पढ़ाई होनी ही चाहिए. यहां भी हिंदी माध्यम में पढ़ाई होती थी, लेकिन परीक्षा के प्रश्नपत्र अंग्रेजी में आना समझ से परे था, लेकिन इस समस्या का सामाधान हो गया है. हिंदीभाषियों की विजय हुई है. परीक्षा से पहले हिंदी भाषी छात्रों की जो चिंता होती थी, वह अब कम हो जायेगी.
सीनोद कुमार गौढ़, शिक्षक, साहागंज डनलप हिंदी हाईस्कूल : हिंदी में प्रश्नपत्र मिलना हिंदीभाषियों के लिए एक वर्ग का विषय है. अब हिंदी भाषाभाषी छात्र भी अच्छे नंबर प्राप्त कर पाएंगे. अंग्रेजी के कारण ही वह काफी पिछड़ रहे थे.
नंदिता दास, शिक्षिका, बीएड कॉलेज : हिंदी में प्रश्नपत्र आने की काफी आवश्यकता थी, क्योंकि ऐसे छात्रों की संख्या काफी है, जो आज भी अंग्रेजी के प्रश्न पत्र को समझ नहीं पाते थे. इसका असर उनके नंबर व पास होने के प्रतिशत पर भी पड़ता था. मातृभाषा में पढ़ना और लिखना दोनों बेहतर ही होता है.
आनंद कुमार गुप्ता, बेलघरिया, श्रीलाल बहादुर शास्त्री, विद्यामंदिर : हिंदी में प्रश्नपत्र आना काफी सुखद खबर है. ऐसा होने से हिंदी भाषी छात्र-छात्राएं अन्य भाषाभाषी छात्रों के मुकाबले काफी पिछड़ जाते थे. बोर्ड की परीक्षाओं में कम नंबर के कारण सरकारी नौकरियां प्राप्त करने में भी उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.बी केसवानी : हिंदी हमारी जड़ है और इसमें शिक्षा प्राप्त करके ही हम हरे-भरे रह सकते हैं.
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