जूट के बोरों का इस्तेमाल अनिवार्य
कोलकाता/नयी दिल्ली : आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीइए) ने चीनी और खाद्यान्न उत्पादों की जूट के बोरों में पैकिंग को अनिवार्य कर दिया है. यह नियम जून, 2018 में समाप्त हो रहे वर्ष के लिए बनाया गया है. सरकार का यह कदम जूट क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों और किसानों की आजीविका की […]
कोलकाता/नयी दिल्ली : आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीइए) ने चीनी और खाद्यान्न उत्पादों की जूट के बोरों में पैकिंग को अनिवार्य कर दिया है. यह नियम जून, 2018 में समाप्त हो रहे वर्ष के लिए बनाया गया है.
सरकार का यह कदम जूट क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों और किसानों की आजीविका की जरूरत को पूरा करेगा. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा में एक बड़ा तबका जूट का काम करता है. बयान में कहा गया है कि पहली बार में पूरे खाद्यान्नों को पैक करने के लिए जूट के बोरों का इस्तेमाल करने का प्रावधान है, लेकिन यह जूट उद्योग की आपूर्ति पर निर्भर करेगा. उल्लेखनीय है कि जूट उद्योग मुख्यत: सरकार के जूट उत्पादों की खरीद पर निर्भर करेगा और सरकार हर साल 5,500 करोड़ रुपये की खरीद करती है.
क्या है फैसला: सीसीइए ने जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम-1987 के तहत अनिवार्य पैकिंग नियमों का विस्तार किया है. इस नियम के मुताबिक, अब 90 फीसदी खाद्यान्नों और 20 फीसदी चीनी उत्पादों की पैकिंग जूट के बोरों में किया जाना अनिवार्य है.
किसान व कामगार होंगे लाभान्वित
इस निर्णय से देश के पूर्वी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्रों विशेषकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय तथा त्रिपुरा में रहनेवाले किसान तथा कामगार लाभान्वित होंगे. इज्मा के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे किसान व श्रमिक काफी लाभान्वित होंगे और इससे पाट उद्योग भी लाभान्वित होगा.
5500 करोड़ का पटसन उत्पाद खरीदता है केंद्र
पटसन उद्योग मुख्यत: सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है, जो प्रति वर्ष 5500 करोड़ रुपये से अधिक के पटसन उत्पादों की खरीदारी करता है. लगभग 3.7 लाख कामगार तथा लगभग 40 लाख किसान अपनी जीविका के लिए पटसन उद्योगों पर निर्भर हैं, इस दृष्टिकोण से सरकार पटसन क्षेत्र के विकास के लिए कच्चे पटसन की गुणवत्ता तथा उत्पादकता में वृद्धि, पटसन क्षेत्र की विविधिकरण तथा उत्पादों को बढ़ाने और उनकी मांग को बनाए रखने के लिए प्रयास करती रही है.
आयात पर नियंत्रण: पटसन क्षेत्र में मांग की वृद्धि के मद्देनजर भारत सरकार ने 5 जनवरी, 2017 से बांग्लादेश और नेपाल से पटसन के सामान के आयात पर निश्चित पाटन-रोधी शुल्क लगाया है.
इन उपायों के परिणामस्वरूप, आंध्र प्रदेश की 13 ट्विन मिलों ने पुन: परिचालन आरंभ कर दिया था जिससे 20 हजार कामगार लाभान्वित हुए हैं. इसके अलावा, निश्चित पाटन-रोधी शुल्क लगाये जाने से भारतीय पटसन उद्योग के लिए स्वदेशी बाजार में दो लाख एमटी पटसन सामानों की अतिरिक्त मांग की संभावना हुई है.