तृणमूल ने कहा- अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान दें भाजपा
कोलकाता : सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने भाजपा नेता मुकुल राय को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें झूठे आरोप लगाने के बजाय अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए. नोआपाड़ा उपचुनाव से संबंधित जारी राजनीतिक पृष्ठभूमि में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री चटर्जी ने कहा […]
कोलकाता : सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने भाजपा नेता मुकुल राय को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें झूठे आरोप लगाने के बजाय अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए. नोआपाड़ा उपचुनाव से संबंधित जारी राजनीतिक पृष्ठभूमि में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के प्रति किसी की वफादारी को भय दिखा कर कम नहीं किया जा सकता.
यहां बता दें कि रविवार को भाजपा की ओर से नोआपाड़ा उपचुनाव के लिए दो बार की तृणमूल विधायक रहीं मंजू बसु को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की गयी थी. हालांकि उम्मीदवार घोषित होने के चंद घंटे बाद ही पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंजू ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है और वे किस के प्रति विश्वास रखती हैं यह उनका निजी मामला है और वे अब भी ममता बनर्जी की वफादार सिपाही हैं. इस पर भाजपा नेता मुकुल राय ने आरोप लगाते हुए कहा था कि मंजू तृणमूल के दबाव में ऐसा कर रही हैं.
वहीं, पार्थ चटर्जी ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए और मुकुल पर निशाना साधते हुए कहा कि कांचरापाड़ा के शख्स को इस तरह के कोरे आरोपों से कुछ हासिल नहीं होनेवाला. चटर्जी ने इस दौरान मुकुल को बीते साल नवंबर महीने में तृणमूल की ओर से बाहर का रास्ता दिखाने का भी जिक्र किया. पार्थ ने कहा कि बजाय आरोप लगाने के मुकुल को चाहिए कि पहले वे अपने संगठन को मजबूत करें, पार्टी के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करें और फिर वे बंगाल के बारे में सोचें.
उल्लेखनीय है कि दो बार तृणमूल की विधायक रहीं मंजू बसु के साथ पूर्व में बतौर तृणमूल नेता मुकुल के साथ घनिष्ठ संबंध थे. बताया जाता है कि इसी के मद्देनजर तृणमूल ने इस बार मंजू को नोआपाड़ा से टिकट देने से इनकार कर दिया था. वहीं इस बीच बीते कुछ दिनों में मंजू के साथ भाजपा नेताओं की बातचीत की खबरें प्रकाश में आ रही थीं.
इधर, सोमवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल की ओर से जबरदस्त दबाव के कारण ही मंजू ने अपना फैसला बदला. मंजू बसु से जब संपर्क किया गया तब वह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने को राजी हो गयी थीं, यहां तक कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी मुलाकात की थी, लेकिन शीर्ष तृणमूल नेतृत्व और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी की ओर से उन पर पार्टी नहीं छोड़ने का दबाव बनाया गया, जिस कारण उन्होंने अपना कदम वापस ले लिया.
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक मधुसूदन घोष के निधन के बाद नोआपाड़ा सीट खाली हुई है. इस सीट से तृणमूल ने सुनील सिंह को उम्मीदवार बनाया है जबकि माकपा ने गार्गी चटर्जी को और कांग्रेस ने गौतम बसु को उम्मीदवार बनाया है.