राज्य सरकार ने अब तक कितने मुसलमानों को दी नौकरी
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भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा की सभा में मुकुल राय ने ममता से मांगी तालिका
कहा : ममता मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं
कोलकाता : कभी ममता बनर्जी के खासमखास रहे मुकुल राय को अब जब भी मौका मिलता है तो वह ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं. यही वजह है कि जब भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से उन्हें बोलने का मौका मिला तो वह कोई कसर नहीं छोड़े. मुकुल राय ने कहा कि राज्य सरकार में दम है तो वह तालिका प्रकाशित करे और बताये कि वह लागातार दो बार सत्ता में आने के बाद कितने अल्पसंख्यकों को नौकरी दी है. इसके साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यकों को आगाह किया कि वह अपनी ताकत को पहचाने और भारत की विरासत को समझे. यहां एक दूसरे को नजरअंदाज करके कोई नहीं रह सकता.
भाजपा इस मामले में पूरी तरह खरी है. इसको जांचने की अपील उन्होंने अल्पसंख्यकों से की. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी मुसलमानों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती हैं. इसका प्रमाण हैं रिजवानुर रहमान की मां. उनको लेकर ममता बनर्जी बंगाल के हर कोने में गयीं और रिजवानुर की मां कहती रहीं मुझे इनसाफ चाहिये. साल 2011 से 2018 हो गया क्या रिजवानुर की मां को इनसाफ मिला. हकीकत यह है कि इस हत्याकांड के सबूतों को मिटाने का काम जिन पुलिस अधिकारियों (ज्ञानवंत सिंह और अजय कुमार) ने किया था, आज वह लोग ऊंचे पदों पर तैनात हैं. यह सब इसी सरकार के कार्यकाल में हुआ है. मुकुल राय ने कहा कि मुस्लिम हितैषी होने का दावा करने वाला शख्स दिन में पेट भर कर खाना खाने के बाद शाम के वक्त रोजा रखे भूखे लोगों के बीच पहुंच कर हिजाब पहन कर रोजा खोले तो उसकी नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है. आज वक्त आ गया है कि लोग इस सच्चाई को समझे. लोगों को यह समझना होगा कि आज के दौर में विभाजन की राजनीति कौन कर रहा है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों के विकास के लिए केंद्र से मिले 500 करोड़ रुपये राज्य सरकार लौटा दे रही है और खुद मुसलमानों के विकास के लिए रोजगार से संबंधित ऋण देने की बात कर रही है, लेकिन ऋण लेने की शर्त इतनी कठिन है कि किसी को ऋण नहीं मिलेगा.
तीन तलाक मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जानेवाली वकील नाजिया इलाही खान ने कहा कि अब तक कांग्रेस विरासत की राजनीति करती रही, इसके लिए वह हमेशा मुसलमानों का इस्तेमाल करती रही. बंगाल सरकार भी इससे जुदा नहीं है. मुसलमानों को केवल वोट बैंक की राजनीति में इस्तेमाल की चीज बना कर रख दिया है. ममता बनर्जी जबसे सत्ता में आयी है वह मुसलमानों के विकास की तो बात कहती है लेकिन जब मुसलमान महिलाओं के हक की बात होती है तो मुसलमान महिलाओं के विरोध में खड़ी हो जाती है. तीन तलाक के मुद्दे पर उनके स्टैंड से लोगों को मायूसी हुई है.