बेटे-बहू ने निकाला, पांच महीने से वृद्धा बेघर
मदद को आगे आयी एक स्वयंसेवी संस्था महकमा अधिकारी से मदद की लगायी गुहार मालदा : बेटे ने वृद्ध मां को घर से निकाल दिया. इससे मां इतनी आहत हुई कि दोबारा घर नहीं लौटी. कभी वह किसी क्लब के बरामदे में रात काटती हैं, तो कभी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे. फिलहाल उन्होंने […]
मदद को आगे आयी एक स्वयंसेवी संस्था
महकमा अधिकारी से मदद की लगायी गुहार
मालदा : बेटे ने वृद्ध मां को घर से निकाल दिया. इससे मां इतनी आहत हुई कि दोबारा घर नहीं लौटी. कभी वह किसी क्लब के बरामदे में रात काटती हैं, तो कभी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे. फिलहाल उन्होंने एक परित्यक्त घर के टूटे-फूटे बरामदे में शरण ले रखी है. 70 वर्षीय ज्योत्स्ना घोष बीते पांच महीनों से इसी तरह जीवनयापन कर रही हैं. हाल ही में उन पर एक स्वयंसेवी संगठन की नजर पड़ी.
इस संस्था ने वृद्धा के बारे में महकमा अधिकारी को लिखित रूप में जानकारी दी. घटना मालदा शहर के एक नंबर वार्ड के माधवनगर इलाके की है. शहर से लगा इंगलिशबाजार ब्लॉक का ग्रामीण इलाका है.
ज्योत्स्ना घोष का घर गोपालपुर गांव में है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. बेटी अपनी ससुराल में रहती है. ज्योत्स्ना घोष का आरोप है कि पांच महीने पहले उनके बेटे देबू और बहू ने उन्हें घर से निकाल दिया. घर लौटने पर उन पर जुल्म किया जायेगा. तभी से वह मालदा में हैं. उन्होंने पहले माधवनगर के एक क्लब के बरामद में शरण ली और एक तरह से भिक्षा मांग कर जीवनयापन करने लगीं. लेकिन दुर्गापूजा आयोजन के कारण उन्हें क्लब का बरामदा छोड़ना पड़ा. इसके बाद से उनके दिन दूसरे घरों के बरामदों या फिर फुटपाथ पर कट रहे हैं.
भयावह ठंड में 70 वर्षीय वृद्धा को इस तरह दिन काटते देख उनकी मदद को एक वेलफेयर संगठन सामने आया है. इस संस्था के सचिव सुजीत दास ने बताया बेघर और भूखे पेट, आधा पेट रहकर ज्योत्स्ना घोष ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है. हमलोगों ने फिलहाल उन्हें कुछ गरम कपड़े और खाद्य सामग्री दी है. हम लोगों ने सदर एसडीओ के सामने उनकी समस्या रखी है. प्रशासन को इस बारे में कुछ कदम उठाना चाहिए. मालदा के सदर अधिकारी पार्थ चक्रवर्ती ने बताया कि अभी आवेदन उनके पास नहीं आया है. लेकिन वह इस मामले को देखेंगे.