गंगा का गंगत्व बचाने की जरूरत : भरत झुनझुनवाला

कोलकाता : गंगा, बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के नीचे से बहती हैं अर्थात भगवान विष्णु एवं शिव का प्रसाद और आशीर्वाद लेकर बहती हैं जो हमें सहज रूप से मिलता है इसलिए गंगा को मोक्षदायिनी नदी कहा गया है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज अंधी दुर्नीतियों के चलते गंगा का गंगत्व खतरे में पड़ गया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2018 4:52 AM

कोलकाता : गंगा, बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के नीचे से बहती हैं अर्थात भगवान विष्णु एवं शिव का प्रसाद और आशीर्वाद लेकर बहती हैं जो हमें सहज रूप से मिलता है इसलिए गंगा को मोक्षदायिनी नदी कहा गया है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज अंधी दुर्नीतियों के चलते गंगा का गंगत्व खतरे में पड़ गया है. इसे बचाने की जरूरत है, नहीं तो हमें विरासत में मिलीं संस्कृतियां नष्ट हो जायेंगी. गंगा पहले पश्चिम में बहती थीं, बाद में पूरब में पहने लगीं, लेकिन दोनों ओर संस्कतृतियों का उत्थान हुआ. ये बातें गंगा मिशन के तत्वावधान में आयोजित संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए अर्थशास्त्री और पर्यावरणविद् भरत झुनझुनवाला ने प्रेस क्लब में कहीं. श्री झुनझुनवाला ने कहा कि गंगा के सामने तीन खतरें हैं,

पहला उत्तराखंड में हाइड्रो पावर प्रोजक्ट, दूसरा उत्तर प्रदेश में सिंचाई प्रबंधन और तीसरा पश्चिम बंगाल का फरक्का बांध. इसके समाधान के बारे में राज्य और केंद्र सरकारों मैंने ज्ञापन दिया है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. जरूरत है कि गंगा के मूल प्रवाह को अविरल बहने दिया जाय, उसे रोका न जाय.

श्री झुनझुनवाला ने अपनी नयी पुस्तक ‘कॉमन प्रोफेट्स ऑफ जीज, क्रिश्चियन, मुस्लिम एंड हिंदूज’की चर्चा करते हुए कहा कि अध्ययन के बाद मैंने पाया है कि इसाई, मुस्लिम और हिंदू कोई अलग-अलग धर्म नहीं है. तीनों का मूल तत्व एक ही है. इस पर हमें सकारात्मक रूप से सोचने की जरूरत है. मौके पर गंगा मिशन के सचिव प्रह्लाद राय गोयनका उर्फ गांगेय ने बताया कि गंगा बचेगी तो हम बचेंगे. हमें गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने की जरूरत है.

Next Article

Exit mobile version