प्रेमभूषणजी महाराज के श्रीमुख से रामकथा कल से

महाराज श्री 27 जनवरी से 4 फरवरी तक लेकटाउन में भक्तों को करवायेंगे श्रीरामकथा का रसपान कोलकाता : आगामी शनिवार से लेकटाउन के बड़ा पार्क में प्रेममूर्ति पूज्य संत श्री प्रेमभूषण जी महाराज श्रीरामकथा का रसपान करायेंगे. महाराज जी के अति प्रिय शिष्य एवं श्रीरामकथा मर्मज्ञ राजन जी महाराज ने गुरुवार को उक्त जानकारी देते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2018 5:31 AM

महाराज श्री 27 जनवरी से 4 फरवरी तक लेकटाउन में भक्तों को करवायेंगे श्रीरामकथा का रसपान

कोलकाता : आगामी शनिवार से लेकटाउन के बड़ा पार्क में प्रेममूर्ति पूज्य संत श्री प्रेमभूषण जी महाराज श्रीरामकथा का रसपान करायेंगे. महाराज जी के अति प्रिय शिष्य एवं श्रीरामकथा मर्मज्ञ राजन जी महाराज ने गुरुवार को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि महाराज श्री की कथायात्रा के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर देश के विभिन्न महानगरों में इसी प्रकार के भव्य आयोजन हो चुके हैं और कोलकाता की कथा के आयोजन को एक यादगार आयोजन बनाने के लिए सैकड़ों की संख्या में पश्चिम बंगाल के धर्मानुरागी दिन-रात जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि धर्मभूषण पंडित लक्ष्मीकांत तिवारी, उद्योगपति महेंद्र कुमार जालान, समाजसेवी कमल कुमार दुगड़ और समाजसेवी बिनय दुबे के संकल्प से इसका आयोजन हुआ है.
अब तक हजारों धर्मानुरागी इस कथा यज्ञ में अपनी आहुति देने तथा कथामृत का पान करने के लिए आयोजन से जुड़ चुके हैं. 27 जनवरी से 4 फरवरी तक चलने वाली कथायात्रा में पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी मुख्य अतिथि होंगे तथा राज्य के दर्जनों मंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद और उद्योगपति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे.
महाराजश्री की चर्चा करते हुए राजनजी महाराज ने कहा आदि काल से हमारे देश और समाज में जब-जब सांस्कृतिक संक्रमण का प्रभाव बढ़ा है, रामजी की कृपा से कोई न कोई संत समाज को सही दिशा और राह दिखाने के लिए भारत भूमि पर आते रहे हैं और आज भी हमारा समाज पूज्य महाराजश्री सरीखे कुछ गिने-चुने संतों से यह आस संजोये बैठा है. महाराज जी ने व्यासपीठ से एकबार बताया था – “ मैं पोथीजी (मानस और अन्य सनातन ग्रंथ) से बाहर की कोई बात नहीं बताता हूं और हमारे सनातन धर्म से जुड़े शास्त्र, धरती पर जीव के आवागमन के नियमों के बारे में सब कुछ बताते हैं, जिन्हें जानकर और मान कर चलनेवाले की जीवन यात्रा स्वतः सुगम हो जाती है और यह सभी युग और काल के लिए शाश्वत नियम है. शाश्वत नियम के संदर्भ में उन्होंने बताया कि 84 लाख योनिओं (धरती पर 84 लाख प्रकार के शरीर धारण किये जीव) में भटकने के बाद जीव को मानव शरीर प्राप्त होता है. ये मानव शरीर, परिवार और माहौल भी उसके पूर्व मानव जन्म में किये गये कर्मों के आधार पर ही मिलता है. मैं आज जो भी हूं, जैसा भी हूं, अपने पूर्व जन्म के कर्मफल से हूं अर्थात हमारा जन्म जिस परिवार में हुआ, हमें जीवन में जैसा भी अवसर और माहौल मिला वो पूर्व जन्म के कर्मफल से प्रेरित है. इसको समझ कर, मानकर, विश्वास में रहने की कला सीखने के बाद मनुष्य स्वयं अपने जीवन में बेहतर कर्म के लिए प्रेरित होता है. विश्वास इस बात का रहे कि जो हो रहा है वो हमारे अपने कर्म का फल है और अगर हम अच्छा करेंगे तो हमारे लिए अच्छा ही होगा.

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