बंगाल : घुसपैठियों से मुकाबले की कवायद, सीमांत चेतना मंच ने स्थानीय लोगों को जागरूक करने का उठाया बीड़ा

असम की तरह बंगाल की सीमा पर भी नागरिक पंजीकरण का प्रस्ताव पांच राज्यों के कार्यकर्ताओं की हुई दो दिवसीय परिचर्चा कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस समर्थित) सीमांत चेतना मंच ने सीमा पर घुसपैठियों व तस्करों की रोकने की कवायद तेज कर दी है और इसे लेकर जनमत बनाने व जागरूकता फैलाने की पहल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2018 8:53 AM
असम की तरह बंगाल की सीमा पर भी नागरिक पंजीकरण का प्रस्ताव
पांच राज्यों के कार्यकर्ताओं की हुई दो दिवसीय परिचर्चा
कोलकाता : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस समर्थित) सीमांत चेतना मंच ने सीमा पर घुसपैठियों व तस्करों की रोकने की कवायद तेज कर दी है और इसे लेकर जनमत बनाने व जागरूकता फैलाने की पहल की है. इसी उपलक्ष्य में सीमांत चेतना मंच के तत्वावधान में मानिकतला स्थित दधीचि भवन में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया. इसमें उत्तर-पूर्व के बांग्लादेश की सीमा से सटे पांच राज्यों के लगभग 250 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.इसका उद्घाटन त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने शनिवार को किया था.
आरएसएस प्रवक्ता डॉ जिष्णु बसु ने भी अपना पत्र पढ़ा था. रविवार को पहले सत्र मंच के प्रतिनिधियों से मीडियाकर्मियों से ‘अपनी सीमा को जानें’ कार्यक्रम के तहत संवाद करवाया गया. वहीं, दूसरे सत्र में बीएसएफ के डीजी केके शर्मा, वरिष्ठ मीडियाकर्मी रथिन सेनगुप्ता, टिप्पणीकार मोहित राय, सीमांत चेतना मंच के राष्ट्रीय महासचिव गोपाल कृष्ण व सीमांत चेतना मंच, पूर्वोत्तर के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ कमल कांत सहारिया ने अपना वक्तव्य रखा.
संवाद के दौरान मुर्शिदाबाद के तापस कुमार विश्वास, असम के पार्थ प्रतिम दास ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमा का क्षेत्र मां की आंचल है और मां की रक्षा करने के लिए जीवन ले भी सकते हैं और दे भी सकते हैं.
मंच के प्रतिनिधियों ने सीमा पर हो रही घुसपैठ, पशुओं की तस्करी, जाली नोट का कोराबार, स्थानीय पुलिस व प्रशासन की निष्क्रियता, बीएसएफ जवानों की मिलीभगत, सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या के बदलते स्वरूप व राज्य के सत्तारूढ़ दल की अतिसक्रियता जैसे आरोप लगाते हुए अपने वक्तव्य रखे. सीमांत चेतना मंच के राष्ट्रीय महासचिव गोपाल कृष्ण ने सवाल किया कि यदि हमारे जवान कश्मीर में घुसपैठियों को रोकने में सफल हो रहे हैं, तो बीएसएफ के जवानों के साथ समस्या क्यों आ रही है.
वरिष्ठ मीडियाकर्मी रथिन सेनगुप्ता ने कहा कि देश में दो तरह का युद्ध चल रहा है और सीमा पर छद्म युद्ध चल रहा है. घुसपैठ के माध्यम से सीमांत क्षेत्रों में दखल का षड़यंत्र चल रहा है. सीमावर्ती अंचल में भारतीयों का दखल समाप्त हो रहा है. उन्होंने कहा कि असम की तरह पश्चिम बंगाल की सीमावर्ती जिलों में भी नागरिकों का पंजीकरण किया जाये. तभी राज्य के नागरिकों की रक्षा की जा सकेगी. यदि सीमावर्ती इलाकों की रक्षा नहीं पायी, तो कोलकाता में बैठे लोग भी सुरक्षित नहीं रह पायेंगे.
सीमांत चेतना मंच, पूर्वोत्तर के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ कमल कांत सहरिया ने कहा कि इस मंच के माध्यम से सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों का जागरूक किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि आरएसएस के बैनर तले लगभग 20 वर्ष पहले सीमा जागरण समिति का गठन किया गया था, लेकिन पिछले दो वर्षों से सीमा चेतना मंच का गठन कर सीमावर्ती इलाकों में आरएसएस अपनी घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है.

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