अभियान: लड़की को दुल्हन बनाने की जल्दी न करो
-तीन महीने में 10 राज्यों में 8000 किलोमीटर तक चलेगा अभियान म्यांमार, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की भारतीय सीमा से होती है लड़कियों की तस्करी कोलकाता : देश में मानव तस्करी सबसे अधिक पश्चिम बंगाल के रास्ते से होती है. बंगाल से मानव तस्करी के तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हैं. बंगाल से सटे पड़ोसी […]
-तीन महीने में 10 राज्यों में 8000 किलोमीटर तक चलेगा अभियान
म्यांमार, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की भारतीय सीमा से होती है लड़कियों की तस्करी
कोलकाता : देश में मानव तस्करी सबसे अधिक पश्चिम बंगाल के रास्ते से होती है. बंगाल से मानव तस्करी के तार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जुड़े हैं. बंगाल से सटे पड़ोसी देश म्यांमार, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश से लड़कियों को भारतीय सीमा से बंगाल लाया जाता है और उसके बाद देश में इनकी तस्करी होती है.
इसे रोकने के लिए दिल्ली की स्वयंसेवी संस्था एम्पावर पीपुल ने अभियान चलाने का फैसला किया है, जिसके तहत देश के 10 राज्यों में अगले तीन महीने तक 8000 किमी की यात्रा तय कर लोगों को जागरूक किया जायेगा. संस्था की ओर से बाल विवाह और दुल्हन तस्करी से निपटने के लिए हर एक स्थान के नुक्कड़ पर ‘ लड़की को लड़की ही रहने दो, उसे दुल्हन बनाने की जल्दी न करो’ नारे के साथ शपथ समारोहों का आयोजन किया जाएगा. इस यात्रा के दौरान 1000 से अधिक उच्च विद्यालयों, कॉलेजों, संस्थानों व 2000 बाजारों को कवर किया जायेगा.
25 को असम से शुरू होगी यात्रा
यह यात्रा 25 मार्च को असम के डिपफू से शुरू होगी और अगले तीन महीने तक चलने वाली यह यात्रा पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब से होते हुए हिमाचल प्रदेश के शिमला में जाकर खत्म होगी. जानकारी के अनुसार, पश्चिम बंगाल में यह अप्रैल में अलीपुरदुआर, कूचबिहार के दिनहाटा, तूफानगंज, जलपाईगुड़ी के धूपगुड़ी, मोइनागुड़ी, उत्तर दिनाजपुर के मॉल, इसलामपुर, रायगंज, कलियागंज, दक्षिण दिनाजपुर के बालुरघाट, मालदा के गाजोल, मालदा टाउन, मुर्शिदाबाद के फरक्का, बहरमपुर, लालगोला, नदिया के करीमपुर, तेहट्टा, हांसखली, उत्तर 24 परगना के बनगांव, बसीरहाट, हासनाबाद, संदेशखाली, दक्षिण २४ परगना के कैनिंग, गोसाबा, मोगराहाट, डायमंडहार्बर, हावड़ा, पश्चिम मेदिनापुर के डेबरा, घाटाल, खड़गपुर, मेदिनापुर, और झाड़ग्राम से होकर गुजरेगी.
जागरूकता के लिए आयोजित किये नुक्कड़ नाटक
एम्पावर पीपल के स्वयंसेवक बाजारों में सार्वजनिक बैठक आयोजित करेंगे और छात्रों के साथ उनके ही संस्थाओं के भीतर सेमिनार आयोजित करेंगे. तस्करी के लिए युवाओं (सबसे ज्यादा तस्करी का शिकार होनेवाले आयु समूहों में से एक) के बीच जागरुकता फैलाने के लिए ऑडियो-विजुअल प्रस्तुत किया जाएगा. ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा अभिनंदन/गौरव समारोह आयोजित किए जाएंगे. इस यात्रा का उद्देश्य भारत के सबसे तस्करी प्रवण राज्यों के स्थानीय हितधारकों, जातीय समूहों और व्यक्तियों के साथ सहयोग करना, उन्हें एक साथ जुटाना और संवेदनशील बनाना है.