मोसुल में दफन 39 भारतीय में दो बंगाल के, बुझ गया चार वर्ष से जल रहा उम्मीद का दीपक, पसरा मातम

II नवीन कुमार राय II कोलकाता : रोजगार के लिए परदेश गये प्रियजन की कोई खबर नहीं मिल रही थी. उनके लौटने की आस में दो परिवार जिंदगी गुजार रहे थे. नदिया जिले के तेहट्ट इलाके में रहनेवाले दोनों परिवारों को उम्मीद थी कि लापता परिजन एक-न-एक दिन घर जरूर लौटेंगे. चार वर्ष से चल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2018 5:14 AM
II नवीन कुमार राय II
कोलकाता : रोजगार के लिए परदेश गये प्रियजन की कोई खबर नहीं मिल रही थी. उनके लौटने की आस में दो परिवार जिंदगी गुजार रहे थे. नदिया जिले के तेहट्ट इलाके में रहनेवाले दोनों परिवारों को उम्मीद थी कि लापता परिजन एक-न-एक दिन घर जरूर लौटेंगे. चार वर्ष से चल रहा इंतजार का सिलसिला मंगलवार को खत्म हो गया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान से देश के 39 घरों की तरह बंगाल के भी दो घरों में मातम फैल गया.
अपनों की हत्या की खबर मिलने के बाद दोनों परिवार के लोगों को काठ मार गया. अब इन्हें मृतकों के अवशेष मिलने की उम्मीद है, ताकि उनका अंतिम संस्कार कर सकें. इराक में आइएसएस के हाथों मारे 39 लोगों में पश्चिम बंगाल के भी दो लोग शामिल थे. नदिया जिले के तेहट्ट अंतर्गत छिटका पंचायत स्थित इलिशमारी गांव निवासी खोकन सिकदर वर्ष 2011 में अपनी मां, पत्नी, बेटा-बेटी को छोड़कर रुपये कमाने इराक गये थे.
वहां वह श्रमिक का काम कर रहे थे. शुरुआत में सब कुछ ठीक था. तय समय पर घर पैसे भेजते थे. परिवार की स्थिति सुधरने लगी. 14 जून 2014 को खोकन ने घर फोन कर बताया कि आतंकवादियों ने उसका अपहरण कर लिया है.
मौका मिलते ही वह फिर बात करेगा. उसके बाद से घरवालों से उसका कोई संपर्क नहीं हुआ. घरवालों को अनहोनी की आशंका थी, लेकिन आस भी बंधी हुई थी. खोकन की पत्नी ने बताया कि फोन पर जब उसके पति ने अपहरण की खबर दी थी तो यह बात मां को नहीं बताने को कहा था. उन्हें पता था कि मां इसे बर्दाश्त नहीं कर पायेंगी.
महाखोला निवासी समर टिकादार भी इराक गये थे. वहां लकड़ी मिस्त्री का काम कर रहे थे. वर्ष 2014 के बाद से परिवार के लोगों से उसका कोई संपर्क नहीं था. अब हत्या की खबर मिलने से घर में सन्नाटा छा गया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को दोनों परिवार की मदद करनी चाहिए.

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