कोलकाता : तृणमूल के निशाने पर हमेशा रहे हैं राज्यपाल
एमके नारायणन पर भी हुए थे जुबानी हमले कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस जब से सत्ता में आयी है, उसके निशाने पर हमेशा राज्यपाल रहे हैं. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से तृणमूल कांग्रेस की टकराव नयी बात नहीं है. इससे पहले भी तृणमूल का पूर्व राज्यपाल एमके नारायणन से विवाद हो चुका है. वर्ष 2013 के जनवरी […]
एमके नारायणन पर भी हुए थे जुबानी हमले
कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस जब से सत्ता में आयी है, उसके निशाने पर हमेशा राज्यपाल रहे हैं. राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से तृणमूल कांग्रेस की टकराव नयी बात नहीं है. इससे पहले भी तृणमूल का पूर्व राज्यपाल एमके नारायणन से विवाद हो चुका है.
वर्ष 2013 के जनवरी महीने की बात है. उस वक्त तृणमूल कांग्रेस की सरकार नयी थी. विरोधी दलों पर लगातार हमले हो रहे थे. विरोधी दल बार-बार राज्यपाल से गुहार लगा रहे थे.
तब राज्यपाल ने थोड़ी हरकत दिखायी, तो तृणमूल कांग्रेस की ओर से उनपर जुबानी हमले होने लगे. मुद्दा भांगड़ में हुई हिंसा का था. उस वक्त पूर्व विधायक अराबुल इस्लाम और वाममोर्चा के पूर्व मंत्री (अब तृणमूल कांग्रेस के मंत्री) रज्जाक मोल्ला के समर्थकों में झड़प हुई थी.
अराबुल समर्थकों के हमले से रज्जाक गंभीर रूप से घायल हुए थे. दर्जनों गाड़ियों को निशाना बनाया गया था. कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. उस वक्त राज्यपाल नारायणन ने हस्तक्षेप करते हुए पुलिस और प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए अपराधियों को गिरफ्तार करने को कहा था. तब पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने राज्यपाल पर जुबानी हमले किये थे. सुब्रत ने कहा था कि नारायणन कांग्रेस द्वारा नियुक्त संवैधानिक प्रधान हैं, इसलिए वह इस तरह की हरकत करेंगे ही. उन्होंने राज्यपाल पर राजनीतिक दल के नेता की तरह बयान देने का आरोप लगाया था. उस समय सुब्रत मुखर्जी की काफी निंदा भी हुई थी. विरोधी दल, बुद्धिजीवी और संवैधानिक विशेषज्ञों ने भी सुब्रत मुखर्जी को निशाना बनाते हुए राज्यपाल के कदम को सही ठहराया था.
छह साल बाद भी उसी घटना को दोहरायी जा रही है. इस बार सुब्रत मुखर्जी की जगह पार्थ चटर्जी हैं. पार्थ चटर्जी ने भी राज्यपाल की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें एक राजनीतिक दल के इशारे पर काम करनेवाला करार दिया है. यह मामला पंचायत चुनाव के नामांकन को लेकर हो रही हिंसा का है.
विरोधी दल बार-बार उनसे गुहार लगा रहे हैं. वह प्रशासनिक अधिकारियों और राज्य चुनाव आयोग को बुलाकर उन्हें निष्पक्ष रूप से काम करने की सलाह दी. उनके इस कदम को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने अति सक्रियता करार देते हुए कहा कि वह अधिकारियों को डरा रहे हैं. जिस तरह से राज्यपाल की भूमिका पर तृणमूल कांग्रेस सवाल उठा रही है, उससे आशंका जतायी जा रही है कि राजभवन और सत्तापक्ष के बीच टकराव और बढ़ेगा.