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पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को अगले आदेश तक राज्य में जारी पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की एकल पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग को 16 अप्रैल (सोमवार) तक अन्य सूचनाओं के साथ पंचायत चुनाव के लिये दायर नामांकनों की संख्या और खारिज किये गये नामांकनों के प्रतिशत के […]

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने गुरुवार को अगले आदेश तक राज्य में जारी पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी. न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की एकल पीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग को 16 अप्रैल (सोमवार) तक अन्य सूचनाओं के साथ पंचायत चुनाव के लिये दायर नामांकनों की संख्या और खारिज किये गये नामांकनों के प्रतिशत के बारे में विस्तार से बताते हुए चुनाव प्रक्रियाओं को लेकर एक समग्र स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
पीठ ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग के नौ अप्रैल के आदेश को वापस लेने संबंधी आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी. सूत्रों के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस शुक्रवार को एकल पीठ के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट की खंडपीठ में अपील कर सकती है. गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग ने नामांकन दायर करने के लिये एक दिन का समय बढ़ा दिया था लेकिन इसे बाद में वापस ले लिया. न्यायमूर्ति तालुकदार ने 10 अप्रैल को राज्य निर्वाचन आयोग के नौ अप्रैल का आदेश वापस लेने पर रोक लगाते हुए आयोग को निर्देश दिया था कि वह अपना आदेश रद्द करने को विलंबित किया गया समझे.
मामले की सुनवाई के दौरान तृणमूल कांग्रेस की ओर से सांसद व अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने अदालत को बताया कि भाजपा द्वारा दायर मामले का कोई अस्तित्व ही नहीं है, क्योंकि राज्य में पंचायत चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसलिए उन्होंने भाजपा की याचिका खारिज करने की अपील की. उन्होंने कहा : हाइकोर्ट किसी भी प्रकार से पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर रोक नहीं लगा सकता है. इसके लिए उन्होंने हाइकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एक निर्देशिका भी पेश की. लेकिन हाइकोर्ट ने कल्याण बनर्जी की दलीलों को मानने से इंकार कर दिया.
कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन सैंडिल से जानना चाहा कि नौ अप्रैल को नामांकन प्रक्रिया की समयसीमा खत्म होने के बाद कितने लोगों ने नामांकन जमा किया था और 10 अप्रैल को कितने लोगों ने नामांकन किया. आयोग ने नामांकन भरने की समयसीमा को बढ़ा कर 10 अप्रैल किया था, फिर उसे क्यों वापस लिया गया. आयोग ने किस आधार पर नामांकन जमा करने की समयसीमा बढ़ायी थी और फिर क्यों अपने इस फैसले को वापस ले लिया. हाइकोर्ट द्वारा पूछे गये इन प्रश्नों का आयोग के पास कोई जवाब नहीं था.
आयोग ने अदालत को बताया कि इस संबंध में फिलहाल उसके पास कोई आंकड़ा नहीं है. इसके बाद हाइकोर्ट ने आयोग को 16 अप्रैल तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और तब तक पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया. ज्ञात रहे कि अभी पंचायत चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया जारी है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पर भी रोक लग गयी है.
16 अप्रैल को फिर होगी मामले की सुनवाई
न्यायमूर्ति तालुकदार ने गुमराह करने के आरोप में भाजपा पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक ही राहत के लिये हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और उसका यह आचरण ‘एक मंच से दूसरे मंच कूदने’ जैसा है. राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए भाजपा के अलावा माकपा एवं कांग्रेस ने भी उच्च न्यायालय का रुख किया था. लेकिन अदालत का यह निर्देश सामने आने से पहले अदालत के अंदर ही दोनों पक्ष के वकील आपस में भिड़ गये.
सुनवाई से पहले अधिवक्ताओं में हो गयी तकरार
जानकारी के अनुसार, गुरुवार को पंचायत चुनाव से संबंधित मामले की सुनवाई के ठीक पहले हाइकोर्ट के अंदर का माहौल भी बेहद गरम था. दोनों ही पक्षों के वकील आपस में ही भिड़ गये और हाथापाई तक की नौबत आ गयी. एक पक्ष का कहना था कि कलकत्ता हाइकोर्ट में वकीलों ने काम बंद रखने का फैसला किया है तो फिर इस स्थिति में मामला क्यों लड़ा जा रहा है. उन्होंने दूसरे पक्षों को मामले नहीं लड़ने की चेतावनी दी. सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर जज के सामने ही दोनों पक्षों के बीच हाथापाई तक की नौबत तक आ गयी थी, जिसे बड़ी मुश्किल से संभाला गया. गौरतलब है कि जजों के खाली पड़े पद को भरने की मांग पर वकीलों के तीन संगठनों ने फरवरी से ही काम बंद रखा है.

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