कोलकाता : रफ्तार से दौड़ेगी इस्ट-वेस्ट मेट्रो, स्क्रीन डोर से कवर्ड होंगे सभी प्लेटफॉर्म

कोलकाता : बहुप्रतीक्षित इस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के पूरा होने के बाद अब महानगर वासियों को इसकी शानदार सवारी का अवसर मिलने वाला है. इस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए नायाब तकनीक से तैयार एक मेट्रो रेक साल्टलेक के मेट्रो वर्कशॉप शेड में आ चुकी है. अब उसका स्टेशनरी कंडीशन टेस्ट (शुरुआती) शुरू होनेवाला है. किसी भी मेट्रो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2018 5:07 AM
कोलकाता : बहुप्रतीक्षित इस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के पूरा होने के बाद अब महानगर वासियों को इसकी शानदार सवारी का अवसर मिलने वाला है. इस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए नायाब तकनीक से तैयार एक मेट्रो रेक साल्टलेक के मेट्रो वर्कशॉप शेड में आ चुकी है. अब उसका स्टेशनरी कंडीशन टेस्ट (शुरुआती) शुरू होनेवाला है.
किसी भी मेट्रो रेक को चलाने से पहले उसके इंजन क्षमता की पूरी जांच होती है. मिली जानकारी के अनुसार इंजन और सभी कोचों की तकनीकी जांच में करीब एक महीने का समय लगेगा. उक्त प्रक्रिया पूरी होने के बाद रेक को यार्ड में चलाकर देखा जायेगा. अधिकारियों की मानें तो पूरी प्रक्रिया में चार से पांच महीने का समय लग जायेगा.
सब ठीक रहा तो अक्टूबर तक नयी मेट्रो को एरिवेटर पर कमिशंड कर दिया जायेगा. सेक्टर-पांच से फुलबगान स्टेशन तक कुल पांच एलिवेटर स्टेशनों पर चलाने के लिए पांच रेक की आवश्यकता है. जिसे बीइएमएल बेंगलुरू इस वर्ष जून तक इस्ट-वेस्ट को उपलब्ध करा देगी. 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली यह मेट्रो तकनीकी साज-सज्जा में भी नायाब होगी.
सभी एसी रेकों को भारत सरकार की कोच फैक्ट्री बीइएमएल बेंगलुरू स्टेट ऑफ द आर्ट के तौर पर तैयार कर रही है. बीइएमएल कोच फैक्ट्री के साथ इस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के लिए 900 करोड़ रुपये का करार हुआ है. जिसके तहत उसे 2019 तक कुल 14 अत्याधुनिक कोच तैयार कर इस्ट-वेस्ट मेट्रो के लिए देना है.
सभी रैक को भारत सरकार की कंपनी बीएएमएल ने तैयार किया
इस्ट-वेस्ट के सभी रेक को भारत सरकार की कंपनी बीएएमएल ने तैयार किया है. जल्द ही इस्ट-वेस्ट मेट्रो ब्रॉड गेज के तहत चालू हो जायेगी. उल्लेखनीय है कि यह मेट्रो हुगली नदी के भीतर मेट्रो टनल से होकर सफर तय करेगी. यह मेट्रो कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सीबीटीसी तकनीक से चलेगी. जिससे एक स्टेशन पार करने में मेट्रो ट्रेन को केवल ढाई मिनट का समय लगेगा. इस्ट-वेस्ट मेट्रो की सबसे बड़ी खासियत होगी कि यह स्वदेशी कलपुर्जों से निर्मित होगी यानी की यह पहली बार होगा जब कोलकाता में हुगली नदी के नीचे से पूरी तरह से स्वदेशी मेट्रो में सफर का आनंद लेंगे कोलकाता वासी.
दिव्यांग खुद सवार हो सकेंगे इस्ट-वेस्ट मेट्रो में ­:इस रेक की खासियत होगी कि इसमें दिव्यांग के सवार होने के साथ व्हिल चेयर को पार्किंग करने का भी स्थान होगा. मिली जानकारी के अनुसार मेट्रो के निकास व प्रवेश को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें दिव्यागं को सवार होने में किसी की सहायता की आवश्यकता नहीं होगी.
सभी रेक होंगे एसी : जानकारी के अनुसार सभी 14 रेक अत्याधुनिक एसी सिस्टम से लैस होंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अक्तूबर, 2018 से इस्ट-वेस्ट मेट्रो के एलिवेटर वाला भाग फुलबगान से सेक्टर पांच तक चलाने के लिए मेट्रो रेलवे ने पूरी तैयारी कर ली है.
स्क्रीन डोर से कवर्ड होंगे सभी प्लेटफॉर्म
कोलकाता. मेट्रो रेलवे का सबसे दुखद पहलू रहा है आत्महत्या की घटनाएं. कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड इन घटनाओं से सबक लेते हुए इस्ट-वेस्ट मेट्रो में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहा है. जिसके बाद लोग पटरी तक पहुंच नहीं पायेगे. मेट्रो प्रशासन इस्ट-वेस्ट मेट्रो स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगाने की व्यवस्था करने जा रहा है.
यानी, सभी प्लेटफॉर्म पूरी तरह से कवर्ड होंगे. प्लेटफॉर्म में ट्रेन के प्रवेश करते ही ट्रेन के दरवाजे ठीक स्क्रीन डोर के पास आकर लगेगा. स्क्रीन डोर से ट्रेन के दरवाजे लगते ही सेंसर काम करेगा और ट्रेन के दरवाजे के साथ ही प्लेटफॉर्म सक्रीन डोर का दरवाजा अपने आप खुल जायेगा. एक प्लेटफॉर्म पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगाने लिए तीन करोड़ रुपये तक का खर्च पड़ेगा.
कुल 12 स्टेशनों जिसमें में जमीन के अंदरवाले स्टेशन हावड़ा मैदान, हावड़ा, न्यू महाकरण, एस्पलेनेड, सियालदह, फुलबगान और एलिवेटर पर टिके स्टेशनों साल्टलेक सेक्टर पांच, करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर, बंगाल केमिकल और साल्ट लेक स्टेडियम मेट्रो स्टेशन सभी में प्लेटफॉर्म डोर स्क्रीन लगेंगे.

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