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कोलकाता : बंगाल का अस्तित्व खत्म कर देंगी ममता

कोलकाता : राज्य में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने के दौरान हुई हिंसा और अभी भी विरोधी दलों के प्रत्याशियों को सत्ता पक्ष के समर्थकों की ओर से दी जा रही कथित धमकियों को लेकर भाजपा महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर जोरदार […]

कोलकाता : राज्य में होनेवाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र जमा करने के दौरान हुई हिंसा और अभी भी विरोधी दलों के प्रत्याशियों को सत्ता पक्ष के समर्थकों की ओर से दी जा रही कथित धमकियों को लेकर भाजपा महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर जोरदार हमला बोला है.

उनका कहना है कि ममता बनर्जी जिस तरह से वोट बैंक बनाने की राजनीति कर रही हैं, वह देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है. मीडिया में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़नेवाले 70 उम्मीदवारों को भागकर पाकुड़ में शरण लेना पड़ा है. विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों और खासकर भाजपा के उम्मीदवारों पर नाम वापसी के लिए तृणमूल के स्थानीय नेता और बंगाल पुलिस दबाव बना रही है. कई लोगों को धमकी के बाद प्रताड़ित भी किया गया है.

चुनाव से नाम वापस लेने की मिल रही धमकियां
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों को नाम वापस लेने की धमकियां मिल रही हैं. साथ ही साथ जिन उम्मीदवारों ने आस-पास के इलाकों में शरण ली है उनके साथ भी बदसलूकी की जा रही है. वहां रोज लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. थानेदार कहता है कि चुनाव से नाम वापस लो नहीं तो झूठे केस में फंसा देंगे.
पिछले 15 दिनों में हमारे पांच कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गयी और ढाई सौ से ज्यादा कार्यकर्ता हॉस्पिटल में एडमिट हैं. किसी को चाकू मारा गया, तो किसी को कुछ और. राज्य में पंचायत चुनाव के लिए लगभग 48 हजार सीटों में से 36 हजार सीटों के लिए हमारे कार्यकर्ताओं ने फॉर्म भरा है. जिनपर चुनाव से नाम वापसी के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
बंगाल में नहीं रही डेमोक्रेसी
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ममता सरकार के मंत्री, नेता और गुंडे लगातार उम्मीदवारों को परेशान कर रहे हैं. यही कारण है कि हमने अपने उम्मीदवारों को उनके इलाकों से हटा दिया है. बंगाल के हालात सचमुच चिंता योग्य है. राज्य में डेमोक्रेसी नहीं रह गयी है. ममता सरकार जनता की ही चुनी हुई है. लेकिन सारे काम जनविरोधी हो रहे हैं.
हम कोशिश कर रहे हैं कि उनका असली चेहरा जनता के सामने जल्द उजागर कर सके. उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव राज्य सरकार कराती है और इस वजह से इसमें चुनाव आयोग भी पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं है. चुनाव आयोग को राज्य के अधीन रहकर ही कार्य करना होता है. मुझे लगता है कि इसे ठीक कराना होगा, क्योंकि लोकसभा-विधानसभा का चुनाव केंद्रीय चुनाव आयोग कराता है, और तब स्थिति इतनी बदतर नहीं होती है.

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