पंचायत चुनाव: नामांकन पत्र वापस लेने से इनकार, भिड़े तृणमूल के दो गुट, एक की मौत
पानागढ़/कोलकाता : पूर्व बर्दवान जिले के भातार थाना अंतर्गत भूमशोर गांव में शनिवार को पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र वापस लेने से इनकार करने पर कथित तृणमूल समर्थकों ने बम से प्रहार कर निर्दल प्रत्याशी का समर्थन कर रहे तृणमूल कार्यकर्ता रमजान मोल्ला (58) की हत्या कर दी. शनिवार की सुबह वे दुकान से […]
पानागढ़/कोलकाता : पूर्व बर्दवान जिले के भातार थाना अंतर्गत भूमशोर गांव में शनिवार को पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र वापस लेने से इनकार करने पर कथित तृणमूल समर्थकों ने बम से प्रहार कर निर्दल प्रत्याशी का समर्थन कर रहे तृणमूल कार्यकर्ता रमजान मोल्ला (58) की हत्या कर दी.
शनिवार की सुबह वे दुकान से घर लौट रहे थे. घटनास्थल पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया. घटना के बाद से गांव में भारी तनाव है. स्थिति नियंत्रित करने के लिए इलाके में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी है. पुलिस ने स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है. शव को पोस्टमार्टम के लिए बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा गया है.इस संबंध में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
उधर, राज्य चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. चुनाव की व्यवस्था को लेकर विरोधी पार्टियां संतुष्ट नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि भातार में एक ही सीट पर तृणमूल के दो प्रार्थियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था. तृणमूल नेता बागी निर्दल प्रार्थी को नामांकन पत्र वापस लेने का दबाव डाल रहे थे. 103 नंबर संसद सीट से तृणमूल प्रार्थी सांत्वना बेगम के खिलाफ निर्दल के रूप में शमीमा खातून खड़ी हैं.
शमीमा का समर्थन रमजान मोल्ला कर रहे थे. शनिवार की सुबह जब रमजान मोल्ला राशन दुकान से घर लौट रहे थे, तभी दूसरे गुट के कथित तृणमूल संरक्षित अपराधियों ने उन पर बम से हमला कर दिया. बम के प्रहार से रमजान मोल्ला की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी. रमजान मोल्ला इलाके के तृणमूल के दबंग नेता मानगोविंद अधिकारी के करीबी थे.
तृणमूल के पूर्व विधायक बनमाली हाजरा और मान गोविंद अधिकारी के बीच शीतयुद्ध चल रहा है. बनमाली हजरा के समर्थक शमीमा खातून को नामांकन पत्र वापस लेने के लिए रमजान मोल्ला पर दबाव बना रहे थे. रमजान द्वारा उक्त नामांकन पत्र वापस नहीं उठाने को केंद्र कर ही कथित तौर पर बनमाली हाजरा के समर्थकों ने रमजान मोल्ला पर बम से हमला कर दिया. घटना के बाद से इलाके में उत्तेजना और तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल उतारा गया है. गांव में फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है.
गौरतलब है कि इसी वर्ष मार्च महीने में पूर्व बर्दवान जिले के प्रशासनिक दौरे के क्र म में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वनमाली हाजरा तथा मानगोविंद अधिकारी के बीच चल रहे आपसी तनाव तथा उत्तेजना को देखते हुए दोनों को सामने बैठा कर एक साथ काम करने का निर्देश दिया था. इसके बाद भी रमजान मोल्ला की हत्या तक दी गयी.
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संशय की स्थिति
कोलकाता. पंचायत चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. मतदान की तिथि निर्धारित हो गयी है लेकिन अभी तक राज्य चुनाव आयोग व राज्य सरकार सुरक्षा योजना पेश नहीं कर पायी है. यह आरोप विपक्षी दलों की ओर से लगाया गया है.
शनिवार को पंचायत चुनाव में सुरक्षा को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त एके सिंह ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. बैठक के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने संवाददाताओं से बात की, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि वे बैठक से संतुष्ट नहीं हो पाये हैं.
भाजपा नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि पंचायत चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर राज्य चुनाव आयोग की ओर से जो बताया गया उससे वे संतुष्ट नहीं हैं. पार्टी की ओर से केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की मांग दोहरायी गयी है.
साथ ही प्रत्येक बूथ में सशस्त्र वाहिनी की तैनाती होनी चाहिए. भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रताप बनर्जी ने कहा कि सुरक्षा को लेकर राज्य चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक का निष्कर्ष लगभग शून्य रहा है. राज्य चुनाव आयोग के पास सुरक्षा को लेकर कोई सटीक प्लान नहीं है. कौन से बूथ पर सुरक्षा की कैसी व्यवस्था होगी, इसकी तैयारी नहीं दिख रही है. भाजपा शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रूप से पंचायत चुनाव चाहती है.
कथित तौर पर पंचायत चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था के लिए अन्य राज्यों से मांगी गयी मदद को लेकर श्री बनर्जी ने कहा कि यदि अन्य राज्यों के पुलिसकर्मियों की मांग की जा रही है तो केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती पर क्यों सहमति नहीं बन पा रही है? बैठक के बाद माकपा के वरिष्ठ नेता रॉबिन देव ने एक चरण में पंचायत चुनाव के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संशय जताया है.
उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयोग सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अभी भी संशय की स्थिति में है. माकपा नेता ने तीन चरण में मतदान कराये जाने पर बल दिया है. फारवर्ड ब्लॉक के वरिष्ठ नेता हाफिज आलम सैरानी ने कहा कि पार्टी की ओर से मांग की गयी है कि अति संवेदनशील बूथों में छह सशस्त्र पुलिस, संवेदनशील बूथों पर चार सशस्त्र पुलिस और सामान्य बूथों पर दो सशस्त्र पुलिस कर्मियों की तैनाती अनिवार्य हो.
आरोप है कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से पंचायत चुनाव के लिए सुरक्षा व्यवस्था की पूरी व्यवस्था के बारे में पूछे गये प्रश्नों का सटीक उत्तर नहीं मिल पाया. कांग्रेस नेताओं की ओर से भी आरोप लगाये गये हैं कि पंचायत चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर राज्य चुनाव आयोग संशय की स्थिति में दिख रहा है.
उन्होंने पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की मांग की है. बैठक में तृृणमूल कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी और सुब्रत बक्शी आये थे.गौरतलब है कि 28 अप्रैल नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख थी.
चार राज्यों से बंगाल ने मांगी पुलिस फोर्स
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में 14 मई को होनेवाले पंचायत चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विरोधी पार्टियों के साथ राज्य चुनाव आयोग व यहां तक कि हाइकोर्ट भी संतुष्ट नहीं है. राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में दी गयी दलीलों को हाइकोर्ट ने भी नकार दिया है.
अदालत ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है. इसी बीच, राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के बजाय अन्य राज्यों से सशस्त्र पुलिस फोर्स लाने के प्रयास में जुट गयी है. पश्चिम बंगाल सरकार ने चार राज्यों तेलंगाना, पंजाब, आंध्र प्रदेश व ओड़िशा सरकार को पत्र देकर सशस्त्र पुलिस फोर्स देने का आग्रह किया है.
इन राज्यों से कम से कम चार-पांच कंपनियां मुहैया कराने की अपील की गयी है. राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि पुलिस फोर्स को चुनाव के सात दिन पहले पश्चिम बंगाल भेजना होगा, ताकि समय पर उनकी तैनाती की जा सके.
दूसरे राज्यों से आने वाली पुलिस फोर्स को 17 मई को वोटों की गिनती के कुछ दिन बाद तक बंगाल में रहना होगा. यानी कम से कम दो सप्ताह तक के लिए राज्य सरकार ने पांच राज्यों से सशस्त्र पुलिस फोर्स की मांग की है.
गौरतलब है कि शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक सुरजीत कर पुरकायस्थ ने राज्य सचिवालय में कहा था कि राज्य में पुलिस फोर्स की कोई कमी नहीं है. अगर जरूरत पड़ी तो पड़ोसी राज्यों से फोर्स मंगा ली जायेगी. उनकी घोषणा के एक दिन बाद ही राज्य सरकार ने पांच राज्यों को पत्र लिखा है.
उल्लेखनीय है कि राज्य के पास कुल 58,000 पुलिस फोर्स है, जिनमें से सिर्फ 46,000 हथियार बंद हैं. जबकि पंचायत चुनाव के लिए पोलिंग बूथ की तादाद 58,467 है. ऐसे में बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनाव में किस तरह सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवायेंगे, इसे लेकर सवाल उठ रहे थे. इस सवाल के जवाब के तौर पर बंगाल ने दूसरे राज्यों से पुलिस फोर्स मांगी है.
पड़ोस की बजाय दूरस्थ राज्यों से मांगी गयी फोर्स
पुलिस महानिदेशक सुरजीत कर पुरकायस्थ ने पड़ोसी राज्यों से पुलिस फोर्स मंगवाने की बात कही थी, लेकिन जिन राज्यों को पत्र भेजा गया है, उनमें सिर्फ एक ही पड़ोसी राज्य है ओड़िशा. माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार को भाजपा शासित राज्यों की बजाय अन्य दलों के शासित राज्यों पर ज्यादा भरोसा है.
इसलिए बंगाल सरकार ने बिहार और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों से पुलिस फोर्स मंगवाने के बजाय सैकड़ों किलोमीटर दूर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और पंजाब सरकार के साथ संपर्क किया है. पुलिस फोर्स मंगवाने के लिए उन राज्यों को अहमियत दी गयी है, जिन राज्यों के मुख्यमंत्री से ममता बनर्जी के अच्छे संपर्क हैं और वह उनकी मांग को संभवत: रद्द नहीं करेंगे.