कोलकाता : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गंठबंधन नहीं, वरन स्थायी सरकार के पक्षधर हैं. रविवार को हिंदुस्तान क्लब द्वारा आयोजित परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए पूर्व राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा : 25 जनवरी, 2014 को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति की हैसियत ने राष्ट्र को दिये गये अपने संदेश मैंने कहा था कि देश के नागरिकों के सामने चुनाव का मौका है. मैंने गंठबंधन सरकार की परेशानियों को देखा है. देश की जनता को चाहिए कि वह एक स्थायी सरकार दे और एक पार्टी को बहुमत दे.
उन्होंने कहा कि उनके इस बयान की बहुत आलोचना हुई थी तथा कहा गया था कि किसी विशेष पार्टी के पक्ष में वक्तव्य रखा है, लेकिन उन्होंने देश के हित में इस आशय का संदेश दिया था. यह संदेश देश के विकास के लिए था. श्री मुखर्जी लंबे समय तक राजनीतिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं. उन्होंने अभी तक अपनी तीन पुस्तकें लिखी हैं. इनके कालक्रम क्रमश: 1969 से 1980, 1980-96 तथा अंतिम पुस्तक ‘ द कोलिएशन इयर’ 1996-12 तक के हैं.
श्री मुखर्जी ने कहा कि वह 2012 के बाद के कालक्रम को लेकर भी पुस्तक लिखना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह प्रतिदिन की गतिविधियों को डायरी में लिखते हैं और उनकी पुस्तकें डायरी में लिखे घटनाक्रम और उनके राजनीतिक अनुभवों के आधार पर होती हैं. श्री मुखर्जी ने बांग्लादेश युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि इस युद्ध में इंदिरा गांधी ने अहम भूमिका निभायी थी.
उस समय भारत ने सबसे पहले बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान की थी तथा उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में जाकर भारत का पक्ष रखा था. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी बहुत ही सशक्त नेता थीं. उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया. उनका अवदान बहुत है. उन्होंने कहा कि संविधान संशोधनों में 24वां, 42वां और 44वां बहुत ही महत्वपूर्ण संशोधन है. इसने देश को नयी दिशा दी है.