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बाल-विवाह व तस्करी के खिलाफ जंग लड़ रहीं लड़कियां

कोलकाता : दक्षिण 24 परगना का ग्रामीण इलाका है मथुरापुर. जो कई मायनों में अभी भी पिछड़ा हुआ है. मथुरापुर व सुंदरवन के आसपास के इलाके में पिछड़े व अल्पसंख्यक समुदाय के कई परिवार दरिद्रता व अभाव की जिंदगी बिता रहे हैं. इसी दरिद्रता के कारण कम उम्र की लड़कियों को बेच देना अथवा उनका […]

कोलकाता : दक्षिण 24 परगना का ग्रामीण इलाका है मथुरापुर. जो कई मायनों में अभी भी पिछड़ा हुआ है. मथुरापुर व सुंदरवन के आसपास के इलाके में पिछड़े व अल्पसंख्यक समुदाय के कई परिवार दरिद्रता व अभाव की जिंदगी बिता रहे हैं. इसी दरिद्रता के कारण कम उम्र की लड़कियों को बेच देना अथवा उनका बाल-विवाह करवा देना यहां आम बात है.
छोटी उम्र की लड़कियों का बाल विवाह रुकवाने व उन्हें तस्करी से बचाने के लिए मथुरापुर की छह लड़कियों का ग्रुप इन दिनों काफी चर्चा में है. यह ग्रुप स्वयंसिद्धा प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहा है. यह प्रोजेक्ट लड़कियों को बाल-विवाह व तस्करी से लड़ने की ट्रेनिंग के साथ उन्हें सशक्त कर रहा है.
सभी लड़कियां कृष्णाचंद्रपुर हाइ स्कूल की छात्राएं हैं. यूएस काैंसुलेट द्वारा इन लड़कियों को कोलकाता में पुरस्कृत भी किया गया है. इस ग्रुप में साफिया मुल्ला, रफीजा पाइक, हफीजा गायन, मनवारा शेख, रुपजान घरामी व अर्पिता अधिकारी शामिल हैं.
इस ग्रुप की लीडर साफिया मुल्ला (15) का कहना है कि जब हमको पता चलता है कि किसी लड़की का उसकी मर्जी के खिलाफ विवाह किया जा रहा है, वे वहां धमक पड़ती हैं और उसे रोकने का प्रयास करती हैं. इस काम में उनके स्कूल के प्रिंसिपल चंदन माइती व पुलिस का भी सहयोग उनको मिलता है. उनकी इस बहादुरी के लिए एक एंटी ट्रैफिकिंग सम्मेलन में राज्य की समाज कल्याण मंत्री शशि पांजा ने उन्हें सम्मानित भी किया.
इन लड़कियों की उम्र 15-19 साल के बीच है. इस स्क्वाड ने गत वर्ष अपनी 12 सहपाठियों व पड़ोसी लड़कियों को बाल विवाह व तस्करी से बचाया था. ग्रुप की सीनियर सदस्य अर्पिता अधिकारी (17) ने बताया कि कृष्णाचंद्रपुर हाइ स्कूल में प्रिंसिपल ने 2003 में यह मुहिम शुरू की.
तस्करी के खिलाफ सजग है लड़कियों का समूह
इस विषय में कृष्णाचंद्रपुर हाइ स्कूल के प्रिंसिपल व स्वयंसिद्धा प्रोजेक्ट के प्रभारी चंदन माइती का कहना है कि केवल 2016 की बात करें तो पूरे देश में मानव तस्करी के कुल 8,132 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें से केवल बंगाल में ही 3,579 मामले दर्ज किये गये. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार यह आंकड़ा कुल राष्ट्रीय आंकड़े का 44 प्रतिशत है. लड़कियों की तस्करी एक बड़ी समस्या है.
जब वे स्कूल में आये थे तो लड़कियों की संख्या यहां काफी कम थी. लड़कियों को उस समय पढ़ाई नियमित करने के लिए प्रेरित करना काफी कठिन काम था. इलाके में गरीबी के कारण छोटी लड़कियां टार्गेट पर रहती हैं. प्रशिक्षण के बाद लड़कियों का साहस बढ़ा, स्कूल में उनकी तादाद बढ़ी. अब इस स्क्वाड को देख कर दूसरी लड़कियों को भी हिम्मत मिलती है. कहीं भी बाल-विवाह कर लड़कियों को बेचने की भनक लगते ही लड़कियों का यह स्क्वाड सक्रिय हो जाता है.
इनको ट्रेनिंग दी गयी है, इसलिए अब ये निडर होकर काम कर रही हैं. तस्करी की शिकार लड़कियों को ये स्कवायड अपने तरीके से मोटीवेट करने का काम भी कर रहा है. हाल ही में अमेरीकन सेंटर में प्रिंसिपल व लड़कियों को इसके लिए सम्मानित किया गया. इनमें से एक लड़की हफीजा गायन (15) ने बताया कि पिछले साल उसके पिता व मुंह बोली बुआ ने कश्मीर के एक आदमी के साथ उसकी शादी तय कर दी. वह आदमी उससे उम्र में चार गुना बड़ा था.
किसी तरह वह वहां से भागी. इसमें पुलिस ने भी उसकी मदद की. लाैटने पर पिता ने घर में घुसने से मना कर दिया. प्रिंसिपल ने किसी तरह होस्टल में रहने की व्यवस्था की.अब वह खुद दूसरी लड़कियों को बचाने में जुटी हुई है.

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