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पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी सहित कई राज्यों में अलर्ट जारी, फिर आंधी-तूफान की आशंका, हो सकती है भीषण तबाही
नयी दिल्ली : उत्तर भारत में बुधवार रात पांच राज्यों में आये आंधी-तूफान के कोहराम से 124 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.दर्जनों परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट गया. गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले दो दिनों के दौरान आंधी, तूफान और आकाशीय बिजली गिरने से अकेले उत्तर […]
नयी दिल्ली : उत्तर भारत में बुधवार रात पांच राज्यों में आये आंधी-तूफान के कोहराम से 124 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.दर्जनों परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट गया. गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले दो दिनों के दौरान आंधी, तूफान और आकाशीय बिजली गिरने से अकेले उत्तर प्रदेश में 73 जिंदगियां खत्म हो गयीं. वहीं राजस्थान में भी 35 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.
गृह मंत्रालय के अनुसार यूपी और राजस्थान के अलावा तेलंगाना में आठ लोगों की मौत, पंजाब में दो लोगों की मौत, और उत्तराखंड में छह लोगों की मौत हुई है. तूफान की वजह से कच्चे-पक्के घरों, फसल, पेड़ों और वाहनों को भी भारी नुकसान पहुंचा है.
फिर लौट सकता है तूफान
124 लोगों को निगलने के बाद भी तूफान का खतरा अभी कम नहीं हुआ है. इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (आइएमडी) ने अगले 24 घंटे में आंधी-तूफान के लौटने की आशंका जतायी है और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग के मुताबिक चक्रवात की स्थिति बनने की वजह से यह अनुमान लगाया गया है.
फसल भी बर्बाद
साथ ही तूफान ने जानवरों और फसल पर भी कहर बरपाया है. उत्तर प्रदेश में जानलेवा तूफान से 105 जानवरों के मरने की खबर है. यही नहीं, पंजाब के किसानों पर भी कुदरत ने बेरहमी दिखायी है. कपूरथला में हजारों एकड़ की फसल तूफान, बारिश और ओलावृष्टि में बर्बाद हो गयी.
चीन ने जताया दुख
चीन ने उत्तर भारत में आये तूफान में जान गंवाने लोगों के परिवारों के प्रति शुक्रवार को संवेदना व्यक्त की. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने कहा : हम संवेदना व्यक्त करते हैं. उन्होंने घायलों के जल्द स्वास्थ होने की कामना की.
क्यों आया तूफान?
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जम्मू-कश्मीर के ऊपर बना हुआ था और दिल्ली में कम दवाब का क्षेत्र बना था. बंगाल की खाड़ी से आ रही हवाओं और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के बीच टकराव हुआ. इसका नतीजा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में तूफान के रूप में देखने को मिला.
हरियाणा के ऊपर बने चक्रवाती प्रवाह के चलते भीषण अंधड़ आया, जिसने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचायह. उन्होंने अनुमान व्यक्त किया कि तूफान के दौरान हवा की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक रही होगी.
मौसम विज्ञान विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि गरज के साथ आये तूफानी अंधड़ के मुख्यत: 4 कारण रहे-अत्यधिक गर्मी, नमी की मौजूदगी, वातावरण में अस्थिरता और तूफानी सक्रियता.
बंगाल का यह तूफान देता है गर्मी से राहत नाम है काल बैशाखी
आंधी-तूफान के हालात में घर से बाहर बिलकुल न निकलें
अगर कहीं रास्ते में फंस गये हैं, तो कोशिश करें कि आसपास किसी पक्के में मकान में शरण लें
पेड़ या टिन शेड के नीचे बिलकुल न खड़े हों
ऑफिस से निकलते समय अगर मौसम खराब हो गया है, तो घर जाने की जल्दी न करें. आंधी रुकने का इंतजार करें
ऐसी जगह बिलकुल न खड़े हों, जहां पर बिजली का खंबा या तार हों. घर में हैं, तो टॉर्च और जरूरी सामान पास में रखें
कैसे करें बचाव
मार्च के अंत तक चिपचिपी गर्मी लाने लगती है. तब दिन भर की उमस भरी गर्मी से राहत दिलाने के लिए उत्तर-पश्चिम से तेज हवाएं आती हैं, जिन्हें कालबैशाखी कहते हैं. अमूमन अप्रैल की शुरुआत से लेकर मानसून के आने तक सक्रिय रहनेवाले इस स्थानीय मौसम कारक को लेकर बांग्ला साहित्य में भी बहुत कुछ लिखा गया है. बादल घिरने से शुरू होनेवाले यह तूफान कृषि के लिए भी अच्छा बताया जाता है. काल बैसाखी से तात्पर्य तेज गति से चलनेवाले स्थानीय तूफानों से है. इस प्रकार के तूफान साधारणत बंगाल, ओड़िशा, बिहार, झारखंड और असम में आते हैं. गर्म व शुष्क स्थानीय हवाएं और आद्र समुद्री हवाएं इसका कारण हैं. इन हवाओं के मिलन के कारण मूसलधार वर्षा होती है. तेज मूसलधार वर्षा के साथ-साथ तीव्र गति के तूफान भी आते हैं. इन तूफानाें को ही काल बैसाखी कहा जाता है.
कुछ मिनटों में ही घट जाता है तापमान
गांगेय बंगाल में आनेवाली कालबैशाखी के कुछ मिनटों के भीतर ही तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है. कालबैशाखी के साथ होनेवाली बारिश लोगों को चिपचिपी गर्मी से राहत दिलाती है. यूं तो कालबैशाखी के दौरान हवा की गति 40 से 80 किमी प्रति घंटे के बीच की होती है, लेकिन कई बार गति 100 किमी प्रति घंटे की सीमा भी लांघ जाती है. जो बड़ी तबाही का कारण बन जाता है. कालबैशाखी की समय सीमा कुछ मिनटों से लेकर आधे पौन घंटे तक रहती है. कालबैशाखी के दौरान कुछ मिलीमीटर से लेकर 80 मिलीमीटर तक वर्षा भी होती है. कहीं-कहीं ओले गिरने की भी खबरे आती हैं. इस साल अप्रैल महीने में आयी जानलेवा कालबैशाखी के कारण कोलकाता महानगर पर खासा असर पड़ा. सैकड़ों जगह पेड़ गिर गये. कोलकाता और आसपास 10 से ज्यादा लोग मारे गये. वहीं, जिलों में भी इस सीजन की कालबैशाखी से 15 से ज्यादा लोग मारे गये हैं.
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