नयी दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह उन उम्मीदवारों का नामांकन पत्र स्वीकार करे जिन्होंने पंचायत चुनावों के लिए निर्धारित अवधि के भीतर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अपना पर्चा भरा था. एसईसी ने मंगलवार के आदेश पर यह कहते हुए रोक लगाने की मांग की है कि इससे ‘अपूरणीय नुकसान और क्षति’ होगी और इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है. राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से इस तरह का कदम उठाये जाने को भांपते हुए माकपा और भाजपा ने शीर्ष अदालत के समक्ष कैविएट दाखिल किया है और एकतरफा आदेश नहीं सुनाये जाने की मांग की है. कैविएट एक तरह का अदालत या सरकारी अधिकारी को कानूनी नोटिस होता है जिसके जरिये कुछ कार्यवाही पर तब तक रोक लगाये जाने की मांग की जाती है जब तक कि इसे दाखिल करनेवाले का पक्ष नहीं सुन लिया जाता.
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ से एसईसी की याचिका की प्रति उन्हें उपलब्ध कराने को कहा. अदालत 11 मई को मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर सकती है.