नुक्कड़ नाटक को तृणमूल ने बनाया प्रचार का माध्यम

गांवों की गलियों में तृणमूल कांग्रेस का धुआंधार प्रचार कोलकाता. तृणमूल काग्रेस ने नुक्कड़ नाटक के जरिए ग्रामीण जनता का दिल जीतने का अभियान चला रखा है. कभी वाम दलों का हथियार रहे नुक्कड़ नाटक को तृणमूल कांग्रेस ने हथियार बनाया है और ग्रामीण जनता तक पार्टी और राज्य सरकार की पहुंच बनाने के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2018 8:58 AM
गांवों की गलियों में तृणमूल कांग्रेस का धुआंधार प्रचार
कोलकाता. तृणमूल काग्रेस ने नुक्कड़ नाटक के जरिए ग्रामीण जनता का दिल जीतने का अभियान चला रखा है. कभी वाम दलों का हथियार रहे नुक्कड़ नाटक को तृणमूल कांग्रेस ने हथियार बनाया है और ग्रामीण जनता तक पार्टी और राज्य सरकार की पहुंच बनाने के लिए इसका सहारा ले रही है.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में 34 साल तक सत्ता में रही वाममोर्चा सरकार ने ग्रामीण जनता को अपने पक्ष में रखने के लिए सूचना व संस्कृति विभाग के अंतर्गत लोक रंजन शाखा के कलाकारों का भरपूर इस्तेमाल किया था. माना जाता है कि पिछली सरकार ने नुक्कड़ नाटकों के इस स्वरूप का प्रयोग ग्रामीण जनता के बीच अपने राजनीतिक संदेश तथा सरकार की उपलब्धियों को पहुंचाने के लिए किया था.
तृणमूल ने 2016 में लिया था नुक्कड़ नाटक का सहारा : तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कला के इस माध्यम का जमकर इस्तेमाल किया था. इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आये. विधानसभा चुनाव में तृणमूल के खिलाफ कांग्रेस और माकपा का गठजोड़ भी बेअसर साबित हुआ और अब पंचायत चुनाव में विरोधियों को शिकस्त देने के लिए ममता (नुक्कड़ नाटक) इसे इस्तेमाल कर रही हैं.
ममता ने लिखी नाटक ‘जयतु’ : पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए ममता बनर्जी ने नाटक ‘जयतु’ (विजेता) की पटकथा खुद लिखी है. 25 मिनट के नाटक में पार्टी की नीतियों और जनहित में चल रहे राज्य सरकार के कार्यक्रमों और उपलब्धियों को शामिल किया गया है. पार्टी ने लोक कलाकारों को इकट्ठा कर गांवों में नुक्कड़ नाटक का मंचन कर रहे हैं. पंचायत चुनाव के ऐन मौके पर नुक्कड़ नाटक चुनाव प्रचार के तमाम हथकंडों से एकदम अलग है.

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