कोलकाता : ताराचंद दत्ता स्ट्रीट में महज 64 रुपये से शुरू हुई दुर्गापूजा अब करोड़ रुपये के बजट के साथ स्वर्ण जयंती वर्ष में पहुंच गयी है. पूजा का रूप बदला और भव्यता बढ़ी तो दर्शनार्थियों के लिए यह पहली पसंद बन गयी, लेकिन गौर करने की बात यह है कि लाखों रुपये की लेन-देन वाले इस पूजा आयोजन का अभी तक पंजीकरण तक नहीं हुआ है, लेकिन पूजा कमेटी के सदस्य एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगाने में व्यस्त हैं.
मामला यूथ एसोसिएशन की ओर से आयोजित होने वाले मोहम्मद अली पार्क सार्वजनीन दुर्गोत्सव का है. पिछले तीन साल से यहां के दुर्गापूजा आयोजन को लेकर कई तरह के आरोप सदस्य एक दूसरे पर लगा रहे हैं. इसमें सबसे अहम आरोप है भ्रष्टाचार का और दूसरा है पूजा के बहाने राजनीतिक हित साधने का. इस साल एसोसिएशन की गुटबाजी संगठन के अंदर से निकल कर मीडिया के सामने आ गयी है. लिहाजा लोग सवालों की बौछार कर रहे हैं. मामला संस्था में हुए दो बड़े बदलाव के कारण सुर्खियों में आया.
इस बार यूथ एसोसिएशन ने चेयरमैन के पद से पूर्व विधायक व तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश बजाज को हटाते हुए उनकी जगह पर मनोज पोद्दार को चेयरमैन और रामचंद बडोपलिया को चीफ पैट्रॉन बनाया है. दिनेश बजाज को हटाने व मनोज पोद्दार को लाने से एसोसिएशन दो गुटों में बंट गया है. एक गुट की कमान मौजूदा प्रधान सचिव सुरेंद्र शर्मा संभाले हैं तो दूसरे गुट का नेतृत्व कार्यकारी अध्यक्ष रमेश लाखोटिया कर रहे हैं.
सुरेंद्र गुट के समर्थक 30 सदस्यीय कार्यकारिणी में 22 सदस्यों का समर्थन हासिल करके बहुमत का दावा कर रहे हैं. इसी बहुमत के दम पर उन्होंने दिनेश बजाज को हटाकर मनोज पोद्दार को चेयरमैन बनाया है. इसका रमेश लाखोटिया और उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि जिस प्रक्रिया के तहत बदलाव हुआ है वह गलत है. उनके मुताबिक रुपयों के लिए ही यह सब किया गया है.
रमेश के इस आरोप को सुरेंद्र शर्मा सिरे से खारिज करते हैं. उनके मुताबिक दिनेश बजाज चेयरमैन के पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पसंद के नेताओं को बुलाने और विरोधी नेताओं को दरकिनार करने की राजनीति करते थे. इसके अलावा कम कीमत पर विज्ञापन के लिए ज्यादा जगह दखल करते थे. इसी वजह से पूजा का दो-दो बार उद्घाटन हो चुका है, जिससे संस्था के लोग नाराज थे. कार्यकारिणी की बैठक में रमेश लाखोटिया की सहमति पर तय हुआ कि चेयरमैन के पद पर गैरराजनीतिक व सामाजिक व्यक्ति को लाया जा सकता है. ऐसे में जब संस्था के सदस्य बहुमत से बदलाव किये तो उसका विरोध करना लाजमी नहीं है. विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ सुरेंद्र शर्मा और उनके समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि पूजा के नाम पर रुपये का खेल जमकर खेला जाता रहा है.
उदाहरण के तौर पर मैदान में लगनेवाले स्टॉलों का टेंडर जिस व्यक्ति को पिछले साल दिया गया था, उससे साल 2016 में जितने रुपये लिये गये थे. उससे आधी रकम साल 2017 में ली गयी. इसके अलावा विज्ञापन के कमीशन के नाम पर भी भारी लूट खसोट होती रही है. इस पर सफाई में रमेश लाखोटिया कहते हैं कि स्टॉल वगैरह के टेंडर से वह कहीं जुड़े नहीं हैं. अलबत्ता उनके कार्यकाल में वहां लगनेवाले झूले के लिए एसोसिएशन को मिलनेवाली रकम को वह बढ़ा कर चार लाख रुपये तक पहुंचा दिये हैं.
पलटवार करते हुए वह कहते हैं कि एसोसिएशन के आमंत्रण पत्र को छापने के नाम पर भारी घोटाला किया जाता रहा है, जिसका उन्होंने खुलासा भी किया और अंगुली सुरेंद्र शर्मा की तरफ उठायी. उनके मुुताबिक आमंत्रण पत्र फर्जी छापने के मामले में जोड़ासांकू थाना में शिकायत भी दर्ज करायी जा चुकी है. जवाब में सुरेंद्र शर्मा कहते हैं कि जब से उन्होंने पद संभाला है सारा फैसला कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से लिया जाता है. इसके अलावा अब तक संस्था की ओर से रक्तदान शिविर, होली प्रीति और खूंटी पूजा का सफल आयोजन किया जा चुका है.
किसी को शिकायत है तो वह सामने आये और मिल बैठकर सुलझा लें. एसोसिएशन के ज्यादातर सदस्य कहते हैं कि दुर्गापूजा किसी व्यक्ति विशेष की पूजा नहीं है. ऐसे में हर कोई साथ आये और अपना सहयोग करें, लेकिन भ्रष्टाचार और पूजा का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप पिछले तीन साल से ही लगना शुरू हुआ, क्योंकि विनोद शर्मा के निधन के बाद एसोसिएशन में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गयी थी. संगठन के पदाधिकारियों के चुनाव में पुलिस तक बुलानी पड़ी थी. ऐसी नौबत फिर नहीं आये इस गरिमा को बरकरार रखने की अपील सभी सदस्य कर रहे हैं.