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बेंगलुरु से चार्टर प्लेन में लाया गया हार्ट, कोलकाता में प्रत्यारोपित

कोलकाता : सोमवार की सुबह कोलकाता एक दुर्लभ हृदय प्रत्यारोपण का गवाह बना. कोलकाता के निजी अस्पताल फोर्टिस में झारखंड के देवघर के सोनारायठाढ़ी गांव के निवासी दिलचंद सिंह का हृदय प्रत्यारोपित किया गया. पूर्वी व उत्तर पूर्वी भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब चार्टर प्लेन के जरिये दूसरे राज्य से जिंदा हृदय को […]

कोलकाता : सोमवार की सुबह कोलकाता एक दुर्लभ हृदय प्रत्यारोपण का गवाह बना. कोलकाता के निजी अस्पताल फोर्टिस में झारखंड के देवघर के सोनारायठाढ़ी गांव के निवासी दिलचंद सिंह का हृदय प्रत्यारोपित किया गया. पूर्वी व उत्तर पूर्वी भारत में ऐसा पहली बार हुआ जब चार्टर प्लेन के जरिये दूसरे राज्य से जिंदा हृदय को लाकर उसे प्रत्यापित किया गया.
दुर्घटना के बाद ब्रेन डेथ करार दिये गये वरुण बीके के हृदय को बेंगलुरु से चार्टर विमान से सुबह साढ़े 11.15 बजे कोलकाता लाया गया. इसके बाद दानकर्ता के हृदय को विशेष एंबुलेंस की मदद से एयरपोर्ट से अस्पताल लाया गया. इसके लिए कोलकाता हवाई अड्डे से लेकर इएम बाइपास स्थित फोर्टिस अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, जिससे 18 किलोमीटर की दूरी मात्र 18 मिनट में तय की गयी.
अस्पताल पहुंचने के बाद सुबह 11.26 बजे विशेष डॉक्टरों की एक टीम ने कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित झारखंड के देवघर के 40 वर्षीय दिलचंद सिंह का ऑपरेशन शुरू किया तथा दो घंट तक चले ऑपरेशन में हृदय का प्रत्यारोपण किया. डॉ तापस रॉयचौधरी, डॉ एआर मंदानार व डॉ सैकत बंद्योपाध्याय की अगुवाई में टीम ने सफल प्रत्यारोपण किया.
साढ़े चार घंटे के अंदर हुआ सबकुछ
सुबह सात बजे बेंगलुरु स्थित फोर्टिस अस्पताल में दानदाता के शरीर से हृदय निकाला गया. सुबह लगभग ‍साढ़े आठ बजे हार्ट को लेकर चार्टर विमान बेंगलुरु से कोलकाता के लिए रवाना हुआ. कोलकाता हवाई अड्डा पर विमान सुबह 11.08 बजे पहुंचा. ग्रीन कॉरिडोर से मात्र 18 मिनट में सुबह 11.26 बजे हार्ट अस्पताल पहुंचाया गया.
शरीर से निकालने के बाद चार घंटे ही जीवित रहता है हार्ट
ऑपरेशन के बाद डॉ रायचौधरी ने कहा कि ऑपरेशन सफल रहा है. शरीर से हार्ट निकालने के बाद चार घंटे तक जीवित रहता है. चार घंटे के अंदर तक ही प्रत्यारोपण करना होता है, लेकिन चूंकि दानदाता युवा तथा उसके हार्ट की स्थिति बहुत ही अच्छी थी. इस कारण चार घंटे से अधिक अवधि होने के बावजूद हार्ट की स्थिति अच्छी थी और इसे सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया. उन्होंने कहा कि चेन्नई मल्हार फोर्टिस अस्पताल में प्रत्येक माह इस तरह के 15 ऑपरेशन होते हैं. इसकी सफलता दर 80 फीसदी है. इसमें लगभग सात से आठ लाख रुपये खर्च होते हैं.
पूर्वी भारत के लिए गर्व का मौका
डॉ रायचौधरी ने कहा कि यह अस्तपताल व पूर्वी भारत के लिए गर्व का विषय है. यह एक ऐतिसाहिक क्षण था. तीन शहरों के डॉक्टरों ने मिल कर पहली बार कोलकाता में हृदय प्रत्यारोपण किया गया. इसमें निजी विमान कंपनी इंडिगो ने विशेष भूमिका निभायी है. उसकी भूमिका सराहनीय है. हार्ट प्रत्यारोपण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है. हृदय प्रत्यारोपण के बाद दिलचंद सिंह फिलहाल अस्पताल के इनटेंसिव केयर यूनिट में है और उसकी स्थिति स्थिर बनी हुई है. वह चिकित्सकों की टीम की निगरानी में है.
बंगाल में 35 हजार जरूरतमंद मरीज
डॉ रायचौधरी ने बताया कि बंगाल में 35 हजार से अधिक मरीज ऐसे हैं, जिनके हृदय के प्रत्यारोपण की जरूरत है. इस तरह के प्रयास से लोगों में जागरूकता बढ़ेगी. लोग अधिक से अधिक अंग दान करेंगे और जरूरतमंद मरीजों को इसका लाभ पहुंचेगा. इसके लिए सरकारी सहयोग की भी जरूरत है.
आठ भाइयों मेें बड़ा है दिलचंद
देवघर के सोनारथारी का रहने वाला दिलचंद 2012 से हृदय रोग से पीड़ित है तथा आठ भाइयों में वह बड़ा है. फिलहाल अस्पताल में उनके भाई उमेश सिंह हैं. उमेश सिंह ने कहा कि उन लोगों ने बहुत ही कष्ट उठाये हैं. उम्मीद है कि भगवान की कृपा से अब कष्ट दूर होंगे और उनके भाई पूरी तरह से स्वस्थ हो जायेंगे.
ब्रेन डेथ के बाद परिवारवालों ने जतायी थी हृदय दान की इच्छा
सड़क दुर्घटना में बेंगलुरु के वरुण बीके (21) की ब्रेन डेथ हो गयी थी. डॉक्टरों ने उसे शनिवार को ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. इसके बाद मृतक के परिवार के सदस्यों ने उसके हृदय को दान की इच्छा जतायी. अस्पताल के प्रबंधन ने तुरंत चेन्नई के मल्हार फोर्टिस अस्पताल से संपर्क किया, लेकिन उस वक्त वहां कोई जरूरतमंद नहीं था.
उसके बाद तुरंत कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल से संपर्क साधा गया. यहां भर्ती दिलचंद सिंह गंभीर रूप से कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित थे. उनका हृदय बहुत ही कमजोर हो गया था तथा जल्द ही प्रत्यारोपण की जरूरत थी. दानकर्ता और दिलचांद का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव निकला. उसके बाद डॉक्टरों ने ह्रदय प्रत्यारोपण करने का निर्णय लिया.
बेगलुरु, रांची, कोलकाता व दिल्ली से प्रशासनिक स्तर पर अनुमति ली गयी और पूरी व्यवस्था की गयी. राज्य अंग प्रत्यारोपण नोडल अधिकारी अदिति किशोर सरकार ने कहा कि यह बहुत ही गर्व का विषय है. चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में कोलकाता ने नया स्थान प्राप्त किया. इसमें न तो दानकर्ता और न ही प्रत्यारोपण करने वाला मरीज कोलकाता का है. पिछले वर्षों में कई बार हृदय प्रत्यारोपण की कोशिश की गयी थी, लेकिन कभी दानकर्ता व तो कभी मरीज नहीं पाये जाने के कारण सफल नहीं हो पाया था.

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