सद‍्गुणों का नाश कर देता है अभिमान

कोलकाता : किसी बड़े उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए संपूर्ण समाज की आवश्यकता होती है. जैसे श्रीराम के साथ पूरा जनजाति समाज सहयोगी बना, उसी प्रकार वर्तमान भोगवाद एवं आतंकवाद रूपी रावण के विनाश के लिए पूरे समाज का समर्थन एवं सहयोग अपेक्षित है, अभिमान सद‍्गुणों का नाश कर देता है. उक्त बातें विदुषी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 28, 2018 4:45 AM
कोलकाता : किसी बड़े उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए संपूर्ण समाज की आवश्यकता होती है. जैसे श्रीराम के साथ पूरा जनजाति समाज सहयोगी बना, उसी प्रकार वर्तमान भोगवाद एवं आतंकवाद रूपी रावण के विनाश के लिए पूरे समाज का समर्थन एवं सहयोग अपेक्षित है, अभिमान सद‍्गुणों का नाश कर देता है.
उक्त बातें विदुषी विजयाजी उर्मलिया ने पूर्वांचल कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित रामकथा के समापन दिवस के अवसर पर कही. उन्होंने कहा कि वनवासी ग्रामों में शिक्षा, चिकित्सा, स्वालम्बन के कार्यों द्वारा वनवासियों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने में प्रमुख भूमिका यह संस्था निभा रही है. आगे उन्होंने कहा कि हनुमानजी को कभी किसी ने पूजा उपवास करते नहीं देखा.
उनका कर्म ही उनकी साधना है. भगवान का नाम जपने मात्र से ही वे प्रसन्न नहीं होते. दीन-दुखी, वंचितों, पीड़ितों की सेवा ही वास्तविक पूजा है. विजयाजी ने कहा कि घोर निराशा के अंधकार में एक टिमटिमाता दीपक भी सहायक होता है उसी प्रकार विभीषण सीता का पता बताने में सहायक हुए. रावण रूपी आसुरी प्रवृति का विनाश श्रीराम जैसा मर्यादित जीवन जीने से होता है. 14 वर्ष तक लक्ष्मण के समान निरंतर तप (इंद्रियों को वश) करनेवाले से ही मेघनाद के समान दम्भी का विनाश किया जा सकता है एवं राम राज्य की स्थापनी हो सकती है. अंतिम दिन विशाल जनसमूह ने यज्ञ में भाग लेकर पूर्णाहूति दी. एक सौ सत्ताईस मानस पाठ का समापन विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुआ. रामकथा के मुख्य यजमान ऊषाकिरण गुप्ता, अध्यक्ष बजरंगलाल अग्रवाल, उत्सव यजमान उषा-पवन कानोड़िया एवं प्रेमलता मोदी, प्रसाद यजमान निवेदिता, श्रृंगार यजमान नीलम अग्रवाल एवं राम मंदिर समिति ने व्यासपीठ का पूजन किया. पार्षद मीना पुरोहित एवं दिव्य प्रेम सेवा मिशन (हरिद्वार) से आशीष गौतम विशेष रूप से कथा में उपस्थित हुए.

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