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मालदा में निपाह वायरस का आतंक, आम और लीची किसानों की उड़ी नींद

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मालदा : नेपा वायरस की दहशत के चलते किसान आम और लीची के फलों पर जालियां लगाकर उन्हें चमगादड़ से बचाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि लीची की फसल तकरीबन समाप्ति की ओर है. वहीं किसान आम के छोटे और मझोले पेड़ों पर लगे फलों को चमगादड़ से बचाने के लिए जालियों का इस्तेमाल […]

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मालदा : नेपा वायरस की दहशत के चलते किसान आम और लीची के फलों पर जालियां लगाकर उन्हें चमगादड़ से बचाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि लीची की फसल तकरीबन समाप्ति की ओर है. वहीं किसान आम के छोटे और मझोले पेड़ों पर लगे फलों को चमगादड़ से बचाने के लिए जालियों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
हालांकि इसमें खर्च और परिश्रम अधिक होता है, लेकिन फलों को संक्रमण से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मालदा जिले की 32 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन में आम की फसल उगायी जाती है. वहीं उद्यान पालन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार आम और लीची के पेड़ों पर सामान्य तौर पर चमगादड़ जैसे जीवों को बैठते हुए नहीं देखा जाता है. खासतौर पर यूक्लीपटस, बरगद और पीपल जैसे पेड़ों पर ही चमगादड़ बैठते हैं. वहीं विशेषज्ञों के अनुसार सतर्कता बरतना जरूरी है. इसके अलावा संक्रमण से बचाव के लिए बगीचे में कटे और जन्तुओं के खाये हुए फलों को नहीं खाया जाना ही उचित है.
उल्लेखनीय है कि निपा वायरस की खबर फैलते ही फल उत्पादक किसानों में खलबली मची हुई है. इसको लेकर कई आम और लीची उत्पादक किसान बगीचे के पेड़ों पर लगे फलों को मच्छरदानी से ढक रहे हैं. हालांकि किसानों का कहना है कि ज्यादातर लीची बागानों में फल तोड़े जा चुके हैं. किसान खासतौर पर लाभजनक गोपालभोग, हिमसागर, आम्रपल्ली, लंगरा किस्म के आमों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्क हैं. मालदा मेंगो एसोसिएशन के सचिव उज्जवल चौधरी ने बताया कि आंधी-पानी के प्रकोप और विभिन्न तरह के कीड़े-मकोड़े के चलते आम और लीची उत्पादक किसानों को काफी परेशानी होती है.
अब इधर, निपा वायरस ने इनकी चिंता को और बढ़ा दिया है. साहापुर ग्राम पंचायत अंतर्गत शांतिपुर इलाके के किसान दिलीप घोष, नारायण मंडल और विद्युत घोष का कहना है कि ज्यादातर छोटे और मझौले पेड़ों के फलों पर ही मच्छरदानी लगायी जा रही है. हालांकि इसमें खर्च और परिश्रम दोनों ही ज्यादा है. उद्यान पालन विभाग के सूत्र के अनुसार इस बार आम के उत्पादन का लक्ष्य साढ़े तीन मेट्रीक टन रखा गया है, जबकि इस बार निपा वायरस के चलते किसान समय से पहले ही आम तोड़ने लगे हैं. हालांकि इसको लेकर बहुत ज्यादा आतंकित होने की जरूरत नहीं है.

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