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नदी का कटाव रोकने के काम को लेकर भाजपा-तृणमूल आमने-सामने
मालदा : राज्य सरकार ने नदी कटाव रोकने के लिए 12 करोड रुपए आवंटित किए हैं. लेकिन काम शुरू नहीं हो पा रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि स्थानीय भाजपा नेता काम नहीं शुरू करने दे रहे हैं. बुधवार को कालियाचक 3 ब्लाक […]
मालदा : राज्य सरकार ने नदी कटाव रोकने के लिए 12 करोड रुपए आवंटित किए हैं. लेकिन काम शुरू नहीं हो पा रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि स्थानीय भाजपा नेता काम नहीं शुरू करने दे रहे हैं.
बुधवार को कालियाचक 3 ब्लाक के पारलालपुर से अनूप नगर इलाके तक गंगा कटाव रोकने के लिए काम शुरू करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन कुछ स्थानीय भाजपा नेता यहां पहुंचे और काम बंद करवा दिया. इस मामले को लेकर अब तृणमूल तथा भाजपा के बीच भिड़ंत की स्थिति बन गई है. पारलालपुर इलाके के तृणमूल कांग्रेस नेता पंचानन सिकदर ने बताया है कि राज्य सरकार की ओर से यहां अनूपनगर तक करीब 1 किलोमीटर इलाके में कटाव रोकने के लिए बांध बनाने का काम कराने का निर्णय लिया था. लेकिन इस काम को रोका जा रहा है.
तृणमूल नेता ने आगे कहा कि गंगा नदी कटाव रोकने की जिम्मेदारी फरक्का बैरेज प्रबंधन की है .लेकिन वह लोग उदासीन हैं. उनके द्वारा कटाव रोकने की कोई कोशिश नहीं की जा रही है. अब जब राज्य सरकार नदी कटाव रोकने की पहल कर रही है तो इसमें भाजपा के स्थानीय नेता बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आम लोगों की परेशानी देखकर ही 12 करोड़ रुपए आवंटित कर काम शुरू करने का निर्देश दिया है.
अब भाजपा के नेता इस काम में जटिलता पैदा कर रहे हैं. किसी भी तरीके से काम रोकने की कोशिश की जा रही है.उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि यह सबकुछ फरक्का बैराज प्रबंधन के इशारे पर हो रहा है. उन्होंने ठेकेदारों से बगैर किसी डर के काम शुरू करने का अनुरोध किया है. दूसरी और भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है.
भाजपा विधायक स्वाधीन सरकार ने बताया है कि तृणमूल कांग्रेसकाम शुरू करना नहीं चाहती. तृणमूल कांग्रेस की ओर से ही काम को बाधित किया जा रहा है. वह चाहते हैं कि इलाके में नदी कटाव रोकने का काम हो सके. इधर,पारलालपुर इलाके के राधा गोविंद मंदिर कमेटी के सचिव लक्ष्मण सरकार का कहना है कि यदि नदी कटाव रोकने की कोशिश नहीं की गई तो इस साल बाढ़ में इस मंदिर के गंगा नदी में समा जाने की पूरी संभावना है. इसके अलावा इस गांव के कई घर भी नदी में समा जाएंगे. यहां के लोग चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर नदी कटाव रोकने का काम शुरू हो. उन्होंने प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की.
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