वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर नहीं रहे
नयी दिल्ली/कोलकाता : जाने-माने चिंतक, पत्रकार और लेखक राजकिशोर का सोमवार सुबह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. वह 72 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार में पत्नी, बेटी, बहू और एक पौत्र तथा एक पौत्री हैं. उनके पुत्र 40 वर्षीय विवेक […]
नयी दिल्ली/कोलकाता : जाने-माने चिंतक, पत्रकार और लेखक राजकिशोर का सोमवार सुबह दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. वह 72 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार में पत्नी, बेटी, बहू और एक पौत्र तथा एक पौत्री हैं. उनके पुत्र 40 वर्षीय विवेक का गत 22 अप्रैल को ही मस्तिष्काघात से आकस्मिक निधन हो गया था. राजकिशोर का अंतिम संस्कार सोमवार को ही शाम में निगम बोधघाट पर कर दिया गया. वरिष्ठ पत्रकार संतन कुमार पांडेय व सुरेश शॉ ने राजकिशोर के निधन पर गहरा शोक जताया है.
राजकिशोर का जन्म 2 जनवरी 1947 को कोलकाता में हुआ था. उनकी गिनती न केवल पत्रकारिता जगत में बल्कि हिंदी के प्रतिष्ठित लेखकों में होती थी. उनका उपन्यास ‘सुनंदा की डायरी’ उनकी प्रमुख कृतियों में से एक है. कोलकाता विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकिशोर ने साप्ताहिक पत्रिका ‘रविवार’ से अपने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत की थी. बाद में वह दिल्ली चले गये और उन्होंने लंबे समय तक ‘नवभारत टाइम्स’ को अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने प्रभाष जोशी के साथ जनसत्ता में भी काम किया. राजकिशोर नियमित तौर पर हिंदी के प्रतिष्ठित अखबारों और पत्रिकाओं में स्तंभ लिखते थे. उनके राजनीतिक व्यंग्य काफी चर्चित रहते थे. भारतीय समाज के व्यावहारिक समाजशास्त्र पर राजकिशोर की गहरी पकड़ थी.
उन्हें कई पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया. इनमें लोहिया पुरस्कार, साहित्यकार सम्मान (हिंदी अकादमी), राजेंद्र माथुर पत्रकारिता पुरस्कार (बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना) प्रमुख हैं. राजकिशोर की मुख्य कृतियों में उपन्यास ‘तुम्हारा सुख’ व ‘सुनंदा की डायरी’, व्यंग्य में ‘अंधेरे में हंसी’ व ‘राजा का बाजा’ और कविता संग्रह ‘पाप के दिन’ शामिल है. इसके अलावा उनके प्रमुख वैचारिक लेखनों में एक अहिंदू का घोषणापत्र, गांधी मेरे भीतक, जाति कौन तोड़ेगा, गांधी की भूमि से, धर्म सांप्रदायिका और राजनीत शामिल हैं.